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This Article is From Aug 09, 2016

मनरेगा के तहत निर्मित रचनाओं की सैटेलाइट के जरिए होगी जियो-टैगिंग

मनरेगा के तहत निर्मित रचनाओं की सैटेलाइट के जरिए होगी जियो-टैगिंग
सैटेलाइट से ली गई तस्वीर.
नई दिल्ली: महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत होने वाले कामकाज की तस्वीरें लेने के लिए इसरो ने एक महत्वाकांक्षी योजना बनाई है. इसरो के वैज्ञानिकों ने 28 जिलों में एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत जियो-मनरेगा (Geo-MGNREGA) के तहत कामकाज की बेहतर निगरानी के लिए इंडियन रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट से हजारों हाई-रिज़ोल्यूशन तस्वीरें लेनी शुरू कर दी हैं जिन्हें जियो-टैग किया जाएगा.

अब कोई छेड़छाड़ संभव नहीं होगी
इसरो के चेयरमैन एएस किरण कुमार ने कहा, "सैटेलाइट से जो तस्वीरें ली जाएंगी वे एकदम सही होंगी. उनसे किसी तरह की छेड़छाड़ संभव नहीं होगी."

सितंबर में सौ जिलों में शुरू होगा प्रोजेक्ट
28 राज्यों की 28 ग्राम पंचायतों में लॉन्च किए गए पायलट प्रोजेक्ट के तहत यह तस्वीरें ली गई हैं. सरकार अब इसरो की मदद से जियो-मनरेगा को एक सितंबर तक देश के 100 जिलों में और एक नवंबर से बाकी के 528 जिलों में शुरू करने की कवायद में जुटी है. इसरो चेयरमैन ने कहा, "अगर हम लेटिट्यूट और लांगिट्यूट की सही तरीके से पहचान कर लेते हैं तो इससे उस जगह की पुख्ता पहचान मिल जाएगी."

हर साल 30 लाख निर्माण होते हैं मनरेगा में
देश में मनरेगा के तहत साल में 30 लाख रचनाओं का निर्माण होता है. इन लाखों निर्माण कार्यों की बेहतर निगरानी के लिए सरकार अब इन सबका डाटाबेस बनाना चाहती है. मंशा इसके जरिए इन कार्यों की मानिटरिंग और अधिकारियों की जवाबदेही बेहतर तरीके से तय करने की है.

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