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This Article is From Sep 16, 2016

गंगा जल में भारी धातु तत्व, कीटनाशकों की मौजूदगी भी : सीपीसीबी

गंगा जल में भारी धातु तत्व, कीटनाशकों की मौजूदगी भी : सीपीसीबी
फाइल फोटो
नई दिल्‍ली: शीर्ष प्रदूषण निगरानी संस्था केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने कहा है कि गंगा नदी के जल में बैक्टीरिया युक्त प्रदूषण और भारी धातु तत्वों एवं कीटनाशकों की मौजूदगी का पता चलता है.

नदी में विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से संबंधित आयामों को समाहित करती विस्तृत रिपोर्ट में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने राष्ट्रीय हरित न्यायाधीकरण को सूचित किया कि गंगा का हरिद्वार से लेकर कानपुर तक 543 किलोमीटर का विस्तार 1072 गंभीर प्रदूषणकारी उद्योगों द्वारा भारी धातु तत्वों एवं कीटनाशकों के प्रवाह से प्रभावित है.

इसमें कहा गया है कि काफी वर्षों या शताब्दी पूर्व यह नदी किसी उद्देश्य के लिए बाधित नहीं की गई और नदी तट पर सीमित बसावट के कारण इसमें गंदगी भी कम मात्रा में जाती थी. अब गंगा नदी कई स्थानों पर बाधित हो गई है जिसमें ऊपरी हिमालय के स्थलों और हरिद्वार, बिजनौर, नरौरा, कानपुर जैसे मैदानी स्थल शामिल हैं. इसके साथ ही विभिन्न उद्देश्यों के लिए इसका मार्ग भी परिवर्तित किया गया. इसके परिणामस्वरूप जल की गुणवत्ता और पारिस्थितिकी पवित्रता को खतरा उत्पन्न हो गया है.

राष्ट्रीय हरित न्यायाधीकरण के छह सितंबर के आदेश के अनुरूप पेश रिपोर्ट में सीपीसीबी ने कहा, ‘गंगा नदी की जल गुणवत्ता संबंधी अध्ययनों में बैक्टिीरिया युक्त प्रदूषण और भारी धातु तत्वों एवं कीटनाशकों की मौजूदगी प्रदर्शित होती हैं.’

रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी गंगा नदी में प्रतिदिन 823.1 एमएलडी अशोधित जलमल और 212.42 एमएलडी औद्योगिक प्रवाह प्रतिदिन प्रवाहित होती है जबकि चार में से तीन निगरानी वाले जलमल शोधन संयंत्र स्थापित मानकों के अनुरूप नहीं हैं. उद्योगों की ओर से शून्य तरल प्रवाह (जेडएलडी) के संबंध में सीपीसीबी का कहना है कि उसने पहले ही डिस्टिलरी, चमड़ा उद्योगों, कपड़ा इकाइयों को शून्य तरल प्रवाह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है क्योंकि यह अनिवार्य है कि क्रोमियम, पूर्ण घुलनशील ठोस पदार्थ एवं अन्य रसायनों जैसे प्रदूषकों का निपटारा करने से पहले उसे अलग कर दिया जाए.

रिपोर्ट में कहा गया है कि औद्योगिकी प्रवाह करने वाले सभी उद्योगों को अपने प्रवाह की गुणवत्ता का ऑनलाइन डाटा बिना रुके सीपीसीबी और एसपीसीबी को भेजना चाहिए. जलमल प्रबंधन के विषय पर एनजीटी को सूचित किया गया कि नदी में प्रतिदिन 823.1 एमएलडी अशोधित जलमल प्रवाहित होता है और प्रस्तावित जलमल शोधन संयंत्र के निर्माण के बाद इस अंतर को दूर कर लिया जायेगा.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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