विज्ञापन
Story ProgressBack
This Article is From Nov 21, 2015

दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार बोले, दाऊद को वापस लाना आसान नहीं

Read Time: 4 mins
दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार बोले, दाऊद को वापस लाना आसान नहीं
दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त नीरज कुमार (फाइल फोटो)
मुंबई: दिल्ली पुलिस के पूर्व आयुक्त नीरज कुमार ने शनिवार को यहां कहा कि भगोड़े सरगना दाऊद इब्राहिम को वापस लाना आसान नहीं क्योंकि उसे ‘दुश्मन देश’ का संरक्षण मिला हुआ है। कुमार ने यह भी कहा कि हाल में दाउद के धुर प्रतिद्वंद्वी छोटा राजन की गिरफ्तारी से इस संबंध में अधिक मदद मिलने की उम्मीद नहीं है।

दुश्मन देश के संरक्षण में है दाऊद
कुमार ने पाकिस्तान, जहां उसके छुपे होने का संदेह है, का नाम लिए बिना कहा, ‘हम यह नहीं कह सकते कि ऐसा आईएसआई (पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी की मदद की वजह से) या देश (भारत) की राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के चलते है। यदि वह अभी भी हमारे चंगुल से बाहर है तो इसलिए कि वह दुश्मन देश के संरक्षण में है। ऐसे में भगोड़े डॉन को वापस लाना आसान काम नहीं है।’ कुमार की पुस्तक ‘डायल डी फार डॉन’ का यहां विमोचन मुम्बई पुलिस के पूर्व आयुक्तों जूलियो रिबेरो और सतीश साहनी एवं वरिष्ठ पत्रकार हुसैन जैदी की मौजूदगी में हुआ।

डॉन से तीन बार हुई फोन पर बातचीत
कुमार ने कहा कि भारत सरकार ने दाऊद को वापस लाने के लिए सभी संभव प्रयास किए हैं और एक दिन उसे सफलता मिलेगी। यह पुस्तक इसलिए सुखिर्यों में हैं क्योंकि कुमार ने यह खुलासा किया है कि 1990 के दशक के दौरान एक बार दाउद आत्मसमर्पण करना चाहता था। उन्होंने कहा, ‘1994 में मैंने दाउद से तीन बार फोन पर बात की जब मैं सीबीआई में 1993 मुम्बई श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों की जांच कर रहा था और एक बार बात 2013 में दिल्ली में मेरे आयुक्त के तौर पर कार्यकाल के अंतिम दिनों में बात हुई थी।'

1976 बैच के आईपीएस अधिकारी ने कहा, ‘मैं इसे लेकर आश्वस्त नहीं था कि फोन पर जिससे मेरी बात हो रही थी वह दाऊद इब्राहिम ही था, लेकिन मेरे भीतर इस बात की मजबूत भावना थी कि वह वही था।’ कुमार ने कहा कि उन्होंने भगोड़े सरगना से बात करने की पहल इसलिए की क्योंकि मनीष लाला (दाऊद का सहयोगी) ने उन्हें सूचना दी थी कि दाउद विस्फोट मामले में अपना रुख स्पष्ट करना चाहता है। उन्होंने कहा, ‘मैं यह दावा नहीं करता कि मैंने दाउद को पकड़ लिया होता या यदि मेरे सुराग का बेहतर इस्तेमाल किया गया होता तब हमने उसे पकड़ लिया होता। मुझे मामले में एक सुराग मिला और मैंने एक पुलिस जांच अधिकारी की तरह उस पर काम किया।’ इस सवाल पर कि क्या हाल में छोटा राजन की गिरफ्तारी से दाउद को वापस लाने में सफलता मिलेगी, कुमार ने कहा कि हमें बहुत अधिक उम्मीद नहीं करनी चाहिए।

छोटा राजन से अधिक मदद मिलने की संभावना नहीं
उन्होंने कहा, ‘निश्चित तौर पर छोटा राजन अंडरवर्ल्ड की सूचना का खजाना है लेकिन यह (सूचना) सब ऐतिहासिक, 1993 से पहले की है। वे फरार चल रहे थे और एक-दूसरे से छुप रहे थे। इसलिए मैं नहीं मानता कि राजन के पास दाउद को पकड़ने के लिए कोई ठोस सूचना होगी।’ कुमार ने यह भी स्वीकार किया कि मुम्बई पुलिस में उनके सहयोगियों और हुसैन जैदी (पुस्तक के सह प्रकाशक) ने उन्हें अहम सूचनाएं दीं।

उन्होंने कहा, ‘मैंने हिंदी फिल्मों और धारावाहिकों के लिए पटकथाएं लिखी हैं। मैं लेखन की दुनिया में कोई नया नहीं हूं। मुझे पता है कि घटनाक्रमों को रोचक बनाने के लिए उनका क्रम कैसे बनाना है।’ उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में मेमन परिवार (जिसके कई सदस्य 1993 विस्फोटों में संलिप्त थे) का अध्याय उनका सबसे पसंदीदा है क्योंकि उसमें काफी मानवीय तत्व हैं।
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Previous Article
दिमाग खाकर जान ले लेता है यह अमीबा, इस तरह के पानी में पाया जाता है
दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार बोले, दाऊद को वापस लाना आसान नहीं
Hathras Hadsa Live : सफेद कपड़ों में ही क्यों दिखते हैं भोले बाबा? गेरुआ वस्त्र क्यों नहीं पहनते?
Next Article
Hathras Hadsa Live : सफेद कपड़ों में ही क्यों दिखते हैं भोले बाबा? गेरुआ वस्त्र क्यों नहीं पहनते?
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com
;