नई दिल्ली:
फ़र्ज़ी डिग्री मामले में आरोपी दिल्ली के पूर्व क़ानून मंत्री जितेंद्र तोमर को दिल्ली पुलिस ने शनिवार को साकेत कोर्ट में पेश किया। कोर्ट में पुलिस ने बताया कि तोमर ने फ़र्ज़ी डिग्री की बात मान ली है और उन्होंने माना है कि उनके भाई और एक अन्य शख़्स ने फ़र्ज़ी डिग्री पाने में मदद की।
पुलिस ने कोर्ट में बताया कि तोमर ने जिन शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाई की बात कही थी, उनमें से लगभग हर संस्थान ने कहा कि तोमर उनके यहां नहीं पढ़े। इसके साथ ही पुलिस ने कोर्ट में कहा कि तोमर द्वारा ज़मानत अर्ज़ी में दिए गए आरटीआई दस्तावेज़ भी फ़र्ज़ी है।
पुलिस को शक है कि तोमर के पीछे फर्जी डिग्री का बड़ा सिंडिकेट हो सकता है और वह जांच के लिए उन्हें एक बार फिर बिहार और उत्तर प्रदेश ले जाना चाहती।
पुलिस का कहना है कि मुंगेर के लॉ कॉलेज के एक रजिस्टर में तोमर का नाम जरूर है, लेकिन कोई दूसरा रिकॉर्ड नहीं ऐसे में कॉलेज के स्टॉफ का स्टाफ भी संदेह के घेरे में है और उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया है।
इन तर्कों का हवाला देते हुए दिल्ली पुलिस ने तोमर को 11 दिनों के लिए पुलिस हिरासत में देने की मांग की थी, लेकिन अदालत ने बाद दो दिन के लिए बढ़ाई है।
आपको बता दें कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार अपने पूर्व मंत्री तोमर के मुकदमे से खुद को अलग करने की तैयारी कर रही है। पार्टी ने साफ किया कि उन्हें पार्टी की तरफ से कोई कानूनी मदद नहीं दी जाएगी। इसके अलावा पार्टी का आंतरिक लोकपाल भी उन पर लगे आरोपों की जांच करेगा।
इससे पहले यह भी खबर आई थी कि पुलिस जब तोमर को यूपी के राममनोहर लोहिया विश्वविद्यालय ले गई, जहां से उन्होंने बीएससी की डिग्री लेने का दावा किया था, तो वह न तो पुलिस को विश्वविद्यालय की फिजिक्स लैब दिखा सके और न ही उन शिक्षकों को पहचान सके, जिन्होंने 1987-1988 के बीच बीएससी के छात्रों को पढ़ाया था। वहीं दिल्ली पुलिस तोमर की फर्ज़ी डिग्री की जांच के सिलसिले में भागलपुर में तिलका मांझी यूनिवर्सिटी ले गई थी, जहां तोमर के खिलाफ छात्रों के एक गुट ने हंगामा करते हुए उन पर अंडा और स्याही भी फेंक दी थी।
पुलिस ने कोर्ट में बताया कि तोमर ने जिन शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाई की बात कही थी, उनमें से लगभग हर संस्थान ने कहा कि तोमर उनके यहां नहीं पढ़े। इसके साथ ही पुलिस ने कोर्ट में कहा कि तोमर द्वारा ज़मानत अर्ज़ी में दिए गए आरटीआई दस्तावेज़ भी फ़र्ज़ी है।
पुलिस को शक है कि तोमर के पीछे फर्जी डिग्री का बड़ा सिंडिकेट हो सकता है और वह जांच के लिए उन्हें एक बार फिर बिहार और उत्तर प्रदेश ले जाना चाहती।
पुलिस का कहना है कि मुंगेर के लॉ कॉलेज के एक रजिस्टर में तोमर का नाम जरूर है, लेकिन कोई दूसरा रिकॉर्ड नहीं ऐसे में कॉलेज के स्टॉफ का स्टाफ भी संदेह के घेरे में है और उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया है।
इन तर्कों का हवाला देते हुए दिल्ली पुलिस ने तोमर को 11 दिनों के लिए पुलिस हिरासत में देने की मांग की थी, लेकिन अदालत ने बाद दो दिन के लिए बढ़ाई है।
आपको बता दें कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार अपने पूर्व मंत्री तोमर के मुकदमे से खुद को अलग करने की तैयारी कर रही है। पार्टी ने साफ किया कि उन्हें पार्टी की तरफ से कोई कानूनी मदद नहीं दी जाएगी। इसके अलावा पार्टी का आंतरिक लोकपाल भी उन पर लगे आरोपों की जांच करेगा।
इससे पहले यह भी खबर आई थी कि पुलिस जब तोमर को यूपी के राममनोहर लोहिया विश्वविद्यालय ले गई, जहां से उन्होंने बीएससी की डिग्री लेने का दावा किया था, तो वह न तो पुलिस को विश्वविद्यालय की फिजिक्स लैब दिखा सके और न ही उन शिक्षकों को पहचान सके, जिन्होंने 1987-1988 के बीच बीएससी के छात्रों को पढ़ाया था। वहीं दिल्ली पुलिस तोमर की फर्ज़ी डिग्री की जांच के सिलसिले में भागलपुर में तिलका मांझी यूनिवर्सिटी ले गई थी, जहां तोमर के खिलाफ छात्रों के एक गुट ने हंगामा करते हुए उन पर अंडा और स्याही भी फेंक दी थी।
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