
करीब तीन माह का ब्रेक लेने के बाद वसुंधरा राजे ( Vasundhara Raje) वापस राजस्थान (Rajasthan) लौट आई हैं और 'तरोताजा' होकर राज्य की सक्रिय राजनीति में वापसी के लिए तैयार नजर आ रही हैं. पिछले कुछ वर्षों में राजस्थान की सियासत में उनकी कम भूमिका और राज्य बीजेपी प्रमुख सतीश पूनिया (Satish Poonia) के साथ उनकी अनबन चर्चा का विषय रही है. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा मंगलवार को सड़क मार्ग से दिल्ली से जयपुर लौटीं, यह यात्रा उनके लिए शक्ति प्रदर्शन का हिस्सा बन गई क्योंकि समर्थकों ने उनका जोरदार स्वागत किया और उनके समर्थन में नारे लगाए.
राजस्थान में सचिन पायलट की 'घर वापसी' के पीछे पूर्व सीएम वसुंधरा राजे फैक्टर
वसुंधरा बीजेपी की कोर कमेटी की बैठक में हिस्सा लेने के लिए लौटी हैं लेकिन स्वागत-बधाई के सिलसिले के चलते करीब एक घंटा की देर के कारण पार्टी तक यह 'संदेश' पहुंच गया कि उन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता. राज्य में चार सीटों पर अहम उपचुनाव के पहले यह बैठक बुलाई गई है. 67 साल की वसुंधरा पिछले कुछ बैठकों से गैरमौजूद रही हैं, इसमें पिछले साल हुईं वह बैठकें भी शामिल थीं जो उस समय सचिन पायलट के बागी तेवरों के चलते अशोक गहलोत की कांग्रेस सरकार पर मंडराते खतरे के चलते बुलाई गई थी.
राजस्थान : पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की चुप्पी शब्दों से ज्यादा गूंज रही है?
राजस्थान लौटने से पहले वसुंधरा ने पीएम नरेंद्र मोदी और पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा सहित पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ मुलाकात की. हालांकि वसुंधरा राज्य से बाहर थीं लेकिन समर्थक खुले तौर पर राजस्थान बीजेपी में उनके लिए अधिक सक्रिय भूमिका की मांग कर रहे थे. उनके किसी भी 'वफादार' का संगठन में भूमिका नहीं दी गई है. यह 'अनबन' सार्वजनिक भी हो गई है. पिछले सप्ताह पूर्व सीएम के वफादार माने जाने वाले 20 विधायकों ने राज्य बीजेपी प्रमुख सतीश पूनिया को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि उन्हें विधानसभा में मुद्दे उठाने की इजाजत नहीं दी जा रही. इस लेटर के बाद पूर्व सीएम के वफादारों की बैठक दो सप्ताह पहले कोटा में हुई. पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत और प्रहलाद गुंजाल ने राज्य में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों में वसुंधरा को सीएम प्रत्याशी के रूप में पेश करने की मांग की.
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