 
                                            केंद्र सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रमण्यन (फाइल फोटो)
                                                                                                                        
                                        
                                        
                                                                                नई दिल्ली: 
                                        केंद्र सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रमण्यन अपनी नई किताब में अपने कार्यकाल में हुए घटनाक्रमों के भेद खोलेंगे. अरविंद सुब्रमण्यन के कार्यकाल के दौरान ही नोटबंदी हुई जब 500 रुपये और 1,000 रुपये के उच्च मूल्य वाले नोट चलन से बाहर हो गए. इसके बाद वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू होते समय भी वह मुख्य आर्थिक सलाहकार थे. उनकी यह नई किताब नवंबर में आने वाली है. 
अरविंद सुब्रमण्यन के मुख्य आर्थिक सलाहकार पद छोड़ने के पीछे है यह खास कारण
किताब के प्रकाशक पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया के मुताबिक, अरविंद सुब्रमण्यन की इस किताब में बतौर सीईए 2014 से लेकर 2018 तक रोलर-कॉस्टर की भांति रही उनकी यात्रा के वृत्तांत देखने को मिलेंगे जिनमें मोदी-जेटली की अर्थव्यवस्था की चुनौतियों की जानकारी मिलेगी. किताब का प्रकाशन पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया ने किया है.
प्रकाशक ने एक बयान में कहा, "अरविंद सुब्रमण्यन की यह किताब सत्ता के शिखर पर नीति निर्माण की उपलब्धियों और चुनौतियों को सरलता से उद्घाटित करेगी."
अरविंद सुब्रमण्यन ने मुख्य आर्थिक सलाहकार का पद छोड़ा, अरुण जेटली को बताया 'ड्रीम बॉस'
पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया के साहित्यिक प्रकाशन की प्रधान संपादक मेरु गोखले ने कहा, "वैश्विक शक्ति के संतुलन में बदलाव पर उनकी रचना में भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. सुब्रमण्यन के अनुभव जानने को मिलेंगे. उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को नजदीक देखा व समझा है. उनके समय में काफी कुछ हुआ, जिनसे हमारा रोज का साबका है. अगर हम एक नागरिक के तौर पर अपने देश को जानना चाहते हैं तो हमें यह किताब पढ़नी चाहिए."
राहुल का मोदी सरकार पर तंज, जहाज डूब रहा है और 'कैप्टन डीमो' गहरी नींद ले रहे हैं...
अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा, "मैं भारत के संबंध में अपनी सोच व अनुभव साझा करने को लेकर उत्साहित हूं." सुब्रमण्यन इस समय हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के केनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट में अतिथि प्राध्यापक हैं और पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकॉनोमिक्स में सीनियर फेलो हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
                                                                        
                                    
                                अरविंद सुब्रमण्यन के मुख्य आर्थिक सलाहकार पद छोड़ने के पीछे है यह खास कारण
किताब के प्रकाशक पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया के मुताबिक, अरविंद सुब्रमण्यन की इस किताब में बतौर सीईए 2014 से लेकर 2018 तक रोलर-कॉस्टर की भांति रही उनकी यात्रा के वृत्तांत देखने को मिलेंगे जिनमें मोदी-जेटली की अर्थव्यवस्था की चुनौतियों की जानकारी मिलेगी. किताब का प्रकाशन पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया ने किया है.
प्रकाशक ने एक बयान में कहा, "अरविंद सुब्रमण्यन की यह किताब सत्ता के शिखर पर नीति निर्माण की उपलब्धियों और चुनौतियों को सरलता से उद्घाटित करेगी."
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पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया के साहित्यिक प्रकाशन की प्रधान संपादक मेरु गोखले ने कहा, "वैश्विक शक्ति के संतुलन में बदलाव पर उनकी रचना में भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. सुब्रमण्यन के अनुभव जानने को मिलेंगे. उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को नजदीक देखा व समझा है. उनके समय में काफी कुछ हुआ, जिनसे हमारा रोज का साबका है. अगर हम एक नागरिक के तौर पर अपने देश को जानना चाहते हैं तो हमें यह किताब पढ़नी चाहिए."
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अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा, "मैं भारत के संबंध में अपनी सोच व अनुभव साझा करने को लेकर उत्साहित हूं." सुब्रमण्यन इस समय हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के केनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट में अतिथि प्राध्यापक हैं और पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकॉनोमिक्स में सीनियर फेलो हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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