रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) ने भारत की सैन्य जरूरतों को लेकर राजनाथ सिंह ने अमेरिका-रूस जैसे देशों को स्पष्ट संदेश दिया है. राजनाथ ने शनिवार को कहा कि भारत और उसके लोगों की सुरक्षा के लिए यह आवश्यक है कि हम अपनी रक्षा क्षमता और विकसित करें ताकि दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश को भी हमारे हितों को खतरे में डालने वाली कोई भी योजना बनाने से पहले हजार बार सोचना पड़े. सिंह ने कहा कि भारत ने अमेरिका, रूस, फ्रांस और अपने कई सहयोगी देशों को स्पष्ट रूप से बता दिया है कि कई सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा आवश्यक सैन्य मंच (प्लेटफॉर्म) और उपकरण देश में निर्मित किए जाने हैं.
फिक्की (FICCI) के वार्षिक सम्मेलन में रक्षा मंत्री ने क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दे पर क्रमश: पाकिस्तान और चीन के परोक्ष संदर्भ पर कहा - ''विभाजन से पैदा हुआ एक देश भारत की प्रगति को देखकर हमेशा चिंतित रहता है, जबकि जबकि दूसरा नई-नई योजनाएं बनाता रहता है.''
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उन्होंने कहा, ‘‘भारत और उसके लोगों की सुरक्षा के लिए यह आवश्यक है कि हम अपनी रक्षा क्षमता और विकसित करें ताकि दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश को भी हमारे हितों को खतरे में डालने वाली कोई भी योजना बनाने से पहले हजार बार सोचना पड़े.' सिंह ने कहा, ‘‘हमारी सरकार का उद्देश्य किसी पर हमला करना नहीं है, बल्कि देश के दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हमारे सशस्त्र बलों को हर समय तैयार रहने के लिए तैयार करना है.''
उन्होंने कहा, ‘‘हमने हर मित्र देश से कहा है कि हम देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भारत में ही सैन्य मंच, हथियार और गोला-बारूद का उत्पादन करना चाहते हैं.'' उन्होंने कहा, ‘‘हमने अमेरिका, रूस, फ्रांस और अन्य लोगों को भी यह संदेश दिया है और हम इस संदेश को संप्रेषित करने में संकोच नहीं करते हैं.'' रक्षा मंत्री ने कहा कि सैन्य उपकरण बनाने वाले देशों को संदेश दिया गया है कि ‘‘कम मेक इन इंडिया, कम मेक फॉर इंडिया और कम मेक फॉर द वर्ल्ड.''
सिंह ने कहा कि भारत इन देशों के साथ दोस्ती बनाए रखेगा लेकिन साथ ही भारतीय धरती पर प्रमुख 'प्लेटफार्म' के उत्पादन पर जोर देने से नहीं हिचकिचाएगा.
उन्होंने कहा, ‘‘हम दोस्ती बनाए रखेंगे लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट कर दें कि जो भी सैन्य उपकरण, हथियार और गोला-बारूद की जरूरत है, वह भारत में उत्पादित किया जाना है.'' उन्होंने कहा, ‘‘मैं इसे बहुत स्पष्ट और विश्वास के साथ बताता हूं. और आपको यह जानकर खुशी होगी कि मुझे उनकी ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है.'
सिंह ने कहा कि शुक्रवार को फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली के साथ बातचीत के बाद यह सहमति बनी थी कि एक प्रमुख फ्रांसीसी कंपनी रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत एक भारतीय कंपनी के साथ हाथ मिलाकर भारत में ‘‘एक इंजन'' का उत्पादन करेगी. हालांकि, उन्होंने इस संबंध में विस्तार से नहीं बताया.
अमेरिका को ‘सैन्य हार्डवेयर' का सबसे बड़ा निर्यातक बताते हुए सिंह ने कहा कि वह चाहते है कि उसके हथियार खरीदने वाले देश उसके मित्र हों. उन्होंने कहा कि भारत मित्रता बनाए रखेगा, लेकिन साथ ही स्पष्ट रूप से सूचित करता रहेगा कि जो भी प्लेटफॉर्म चाहिए वह भारत में ही तैयार किए जाने हैं. सिंह ने भारत को वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए सरकार के दृष्टिकोण पर विस्तार से बताया, जिसमें जोर दिया गया कि सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण और एक मजबूत आत्मनिर्भर रक्षा उद्योग बनाना है जो देश को पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों से बचाने में मदद कर सके.
उन्होंने उत्तर प्रदेश के अमेठी में छह लाख से अधिक एके-203 राइफल्स के निर्माण के लिए रूस के साथ 5,000 करोड़ रुपये से अधिक के हालिया समझौते का भी उल्लेख किया. रक्षा मंत्री ने घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 209 सैन्य उपकरणों का आयात नहीं करने के सरकार के फैसले का भी उल्लेख किया और संकेत दिया कि सूची के तहत इन वस्तुओं की संख्या लगभग 1,000 को छू सकती हैं. उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं 'इंडिया बियॉन्ड 75' की बात करता हूं, तो मेरा मानना है कि यह ‘सकारात्मक सूची' इस दशक में लगभग 1000 वस्तुओं की होगी. मैं इसे लेकर बहुत सकारात्मक हूं.''
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