देश भर में लॉकडाउन की मार झेल रहे लाखों प्रवासी मज़दूरों को खाने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. कई के पास राशन कार्ड भी नहीं है जिससे वो मुफ्त में या सस्ता अनाज उठा सकें. अब खाद्य मंत्री ने राज्य सरकरों से ऐसे गरीब प्रवासी मज़दूरों के लिए आपदा फंड का इस्तेमाल कर उन्हें खाना मुहैया कराने की अपील की है. लॉकडाउन की सबसे बुरी मार उन मज़दूरों पर पड़ी है जिनके पास राशन कार्ड तक नहीं है. उन्हें सरकार की ओर से मुहैया कराया जा रहा राशन तक नहीं मिल रहा. अब एनडीटीवी से खास बातचीत में खाद्य मंत्री ने सभी राज्यों से कहा है कि वो लॉकडाउन की मार झेल रहे ऐसे गरीब प्रवासी मज़दूरों को खाना मुहैया करने के लिए विशेष पहल करें.
जब NDTV ने पूछा कि बहुत सारे मज़दूर खाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं, उनके पास राशन कार्ड तक नहीं है. इस पर खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने कहा, 'बड़े शहरों में फंसे प्रवासी मज़दूरों की परेशनी, खाने का संकट को दूर करने के लिए राज्य सरकारें नेशनल डिजास्टर रिलीफ फंड्स और स्टेट डिजास्टर रिलीफ फंड्स का इस्तेमाल करें. हर ज़रूरतमंद के लिए जिनके पास राशन कार्ड नहीं है और उन्हें अनाज देना ज़रूरी है. राज्य सरकारें उन्हें भी खाना मुहैया कराएं. सोमवार को राम विलास पासवान ने सभी राज्यों के खाद्य और आपूर्ति मंत्रियो के साथ वीडियो-कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिये गरीबों को मुफ्त अनाज के बंटवारे और बाजार में ज़रूरी खाने पीने के सामानों की उपलब्धता का जायज़ा लिया. उन्होंने कहा, 'मंडियों में सब्ज़ियों का सप्लाई चेन काफी बाधित हुआ है. किसान सब्ज़ी सही तरीके से मंडी तक नहीं ला पा रहा है.
लॉकडाउन के दौरान मास्क,सैनिटाइजर्स और ज़रूरी खाने पीने का सामान महंगा न हो इस पर कड़ी नज़र रखी जा रही है. खाद्य मंत्रालय ने ओपन मार्किट सेल स्कीम के तहत बाजार में 21 रुपये किलो गेहूं और 22 रुपये किलो की सस्ते दर पर चावल मुहैया कराने का फैसला किया है जिससे गरीबों को खाना खिलाने के लिए राज्य सरकारें और धार्मिक-सामाजिक संस्थाएं आसानी से अनाज खरीद सकें.
Video: लॉकडाउन में क्या मजदूरों तक पहुंच पा रही हैं सरकार की योजनाएं
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