सरकारी गलियारों में चर्चा है कि इस साल बजट में एस्टेट ड्यूटी या इन्हेरिटेंस टैक्स फिर से लगाया जा सकता है. विपक्ष इस पर एतराज़ कर रहा है जबकि अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इससे सामाजिक विषमता घटेगी.
सरकार के सामने पैसा जुटाने की चुनौती है. सोमवार को आए आंकड़े बता रहे हैं कि दो महीनों में जीएसटी कलेक्शन औसतन करीब 14,000 करोड़ महीने कम हो गया. वित्त मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक अप्रैल 2019 में कुल GST कलेक्शन 1,13,865 करोड़ था जो जबकि मई 2019 में 1,00,289 हो गया और जून 2019 में घटकर 99,939 करोड़ रह गया है.
अब ख़बर ये है कि नए निवेश के लिए ज़रूरी संसाधन जुटाने के रास्ते खोज रही सरकार Estate Duty या Inheritance Tax फिर से लाने पर विचार कर रही है. ये टैक्स दरअसल पैतृक संपत्ति पर लिया जाता है. इसे 1953 में पहली बार भारत में लागू किया गया और ये करीब 32 साल देश में लागू रहा. दरअसल इस टैक्स को लेकर टैक्स मुकदमेबाज़ी इतनी ज़्यादा हुई कि इसे 1985 में खत्म कर दिया गया.साफ है ये विकल्प एक मुश्किल विकल्प साबित होता रहा है और अब देखना होगा कि वित्त मंत्रालय इस बारे में आगे क्या फैसला करता है.
टी हक, चेयरमैन, ज़मीन मामलों पर नीति आयोग की विशेषज्ञ समिति के मुताबिक भारत में अभी एक प्रतिशत लोग 58% वेल्थ कंट्रोल करते हैं. ऐसे लोगों पर Inheritance Tax लगाना चाहिए. भारत में Tax-GDP रेश्यो कम है. उसे बढ़ाना जरूरी है. Inheritance tax से भारत में सामाीजिक असमानता घटाने में मदद होगी.
संजय शर्मा, एसिसटेन्ट सेक्रेटरी जनरल, एसोचैम ने कहा - हम कॉन्फिडेंट कि वित्त मंत्रालय सारे स्टेकहोल्डरों से सलाह के बाद नया टैक्स प्रपोजल तैयार कर रहा है.
सवाल है...अगर ये प्रस्ताव बजट 2019 में शामिल किया जाता है तो क्या ये विपक्ष को मंज़ूर होगा? कुछ विपक्षी सांसद ये मानते हैं कि जो टैक्स 1985 में खत्म किया गया उसे 34 साल बाद फिर लागू करना गलत होगा...सरकार को टैक्स कलेक्शन बढ़ाने के लिए नए विकल्पों पर विचार करना चाहिये ना कि नए टैक्स लगाकर...
प्रताप सिंह बाजवा, कांग्रेस सांसद, राज्य सभा ने कहा - 34 साल बाद Inheritance Tax को फिर रिवाइव करना गलत होगा. यह मोदी सरकार को मिले मैंडेट को डिफीट करने वाली बात होगी.
आज़म खान, सांसद, समाजवादी पार्टी - 1985 में Inheritance Tax को जो एबोलिश किया गया वो गलत था? Inheritance Tax को फिर रिवाइव करना गलत होगा. सरकार को रेवेन्यू जेनेरेशन के दूसरे नए रास्ते खोजने चाहिए.
साफ है... वित्त मंत्री को अर्थव्यवस्था की ज़रूरतों और राजनीतिक बैंलेस बनाकर आगे बढ़ना होगा.
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