सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली-NCR में पटाखों की बिक्री और स्टॉक रखने पर रोक जारी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने CPCB को निर्देश दिया है कि NCR में 450 पटाखा विक्रेताओं के स्टॉक की जांच करके सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट दें. कोर्ट ने कहा कि फिलहाल स्टॉक रखने वालों पर कारवाई न की जाए. कोर्ट ने कहा कि इजाजत देने से पहले यह भी देखना होगा कि इन लोगों के पास कितना स्टॉक है. साथ ही ऐसा भी नहीं होना चाहिए कि सारा प्रदूषण मुंबई पहुंच जाए. इसलिए यह भी सुझाया जाए कि इन पटाखों का कैसे निस्तारण किया जाए.
पटाखा विक्रेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है कि दिल्ली और NCR के पटाखा विक्रेताओं को सुप्रीम कोर्ट अपने आदेश में संशोधन कर राहत दे, क्योंकि उनके लाइसेंस निलंबित हो चुके हैं, इसलिए सुप्रीम कोर्ट उन्हें पुराने स्टॉक को NCR से बाहर बेचने की इजाजत दे. इस आदेश के बाद उनके खिलाफ FIR दर्ज हो रही हैं और विक्रेता परेशान हैं. ये शादियों का वक्त है, ऐसे में उन्हें राहत दी जाए.
गौरतलब है पिछले साल 25 नवंबर को दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में पटाखों की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पूरे एनसीआर में पटाखों की बिक्री के लिए कोई नया लाइसेंस नहीं देने और पहले से जारी लाइसेंस को निलंबित करने के आदेश दिए थे. इसके साथ कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, 'CPCB तीन महीने में रिपोर्ट दाखिल कर बताए कि पटाखों में किस तरह की सामग्री इस्तेमाल किया जा रही है.'
सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों के खिलाफ तीन बच्चों की याचिका पर यह फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले ही संकेत दिया था कि दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर रोक लग सकती है. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जिस तरह ड्रिंक करने वालों को बस बहाना चाहिए. सुख हो या दुःख उन्हें तो बस ड्रिंक करने का मौका चाहिए. ठीक उसी तरह पटाखों को लेकर भी लोग यही करते हैं.
अधिकारों को लेकर लोगों का सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाना कोई नहीं बात नहीं है, लेकिन यह अपनी तरह का अलग मामला है, जब 6 से 14 महीने के बच्चों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर साफ हवा में सांस लेने के अधिकार की मांग करते हुए निर्देश देने की मांग की थी.
इस याचिका में मांग की गई थी कि दशहरा और दीवाली जैसे त्योहारों पर पटाखों की ब्रिकी पर रोक लगाई जाए. इन बच्चों अर्जुन गोपाल, आरव भंडारी और जोया राव की ओर से उनके पिताओं ने दायर जनहित याचिका में कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के चलते हालात खराब हो रहे हैं. दिल्ली में त्योहार के वक्त पटाखों की वजह से कई बीमारियां भी हो रही हैं. इसके अलावा रोक के बावजूद खुले में मलबा भी फेंका जा रहा है. इसके साथ ही राजधानी के आसपास करीब 500 टन फसलों के अवशेष जलाए जाते हैं. इतना ही नहीं ट्रकों की वजह से प्रदूषण बढ़ता जा रहा है और इनकी वजह से फेंफड़े संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट कोई ठोस दिशा निर्देश जारी करे और प्रदूषण पर रोक लगाए.
पटाखा विक्रेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है कि दिल्ली और NCR के पटाखा विक्रेताओं को सुप्रीम कोर्ट अपने आदेश में संशोधन कर राहत दे, क्योंकि उनके लाइसेंस निलंबित हो चुके हैं, इसलिए सुप्रीम कोर्ट उन्हें पुराने स्टॉक को NCR से बाहर बेचने की इजाजत दे. इस आदेश के बाद उनके खिलाफ FIR दर्ज हो रही हैं और विक्रेता परेशान हैं. ये शादियों का वक्त है, ऐसे में उन्हें राहत दी जाए.
गौरतलब है पिछले साल 25 नवंबर को दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में पटाखों की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पूरे एनसीआर में पटाखों की बिक्री के लिए कोई नया लाइसेंस नहीं देने और पहले से जारी लाइसेंस को निलंबित करने के आदेश दिए थे. इसके साथ कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, 'CPCB तीन महीने में रिपोर्ट दाखिल कर बताए कि पटाखों में किस तरह की सामग्री इस्तेमाल किया जा रही है.'
सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों के खिलाफ तीन बच्चों की याचिका पर यह फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले ही संकेत दिया था कि दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर रोक लग सकती है. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जिस तरह ड्रिंक करने वालों को बस बहाना चाहिए. सुख हो या दुःख उन्हें तो बस ड्रिंक करने का मौका चाहिए. ठीक उसी तरह पटाखों को लेकर भी लोग यही करते हैं.
अधिकारों को लेकर लोगों का सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाना कोई नहीं बात नहीं है, लेकिन यह अपनी तरह का अलग मामला है, जब 6 से 14 महीने के बच्चों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर साफ हवा में सांस लेने के अधिकार की मांग करते हुए निर्देश देने की मांग की थी.
इस याचिका में मांग की गई थी कि दशहरा और दीवाली जैसे त्योहारों पर पटाखों की ब्रिकी पर रोक लगाई जाए. इन बच्चों अर्जुन गोपाल, आरव भंडारी और जोया राव की ओर से उनके पिताओं ने दायर जनहित याचिका में कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के चलते हालात खराब हो रहे हैं. दिल्ली में त्योहार के वक्त पटाखों की वजह से कई बीमारियां भी हो रही हैं. इसके अलावा रोक के बावजूद खुले में मलबा भी फेंका जा रहा है. इसके साथ ही राजधानी के आसपास करीब 500 टन फसलों के अवशेष जलाए जाते हैं. इतना ही नहीं ट्रकों की वजह से प्रदूषण बढ़ता जा रहा है और इनकी वजह से फेंफड़े संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट कोई ठोस दिशा निर्देश जारी करे और प्रदूषण पर रोक लगाए.
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