नई दिल्ली:
जम्मू कश्मीर में पिछले कुछ दिनों में एक एक कर 5 दरगाहों में आग लग गई। अब सुरक्षा एजेंसियां इसके पीछे बड़ी साज़िश देख रही हैं।
दस्तगीर दरगाह जल के कैसे राख हुई, इस बारे में अभी जम्मू कश्मीर सरकार की जांच चल ही रही थी कि एक के बाद एक पांच और दरगाहें आग की नज़र हो गईं।
आग लगने की इन घटनाओं से सुरक्षा एजेंलियों में खलबली मची हुई है। गृह मंत्रालय इसलिए भी चिंतित है क्योंकि यह सारी वारदातें पिछले एक महीने मे हुई हैं।
बता दें कि 25 जून को दस्तगीर साहिब मे आग लगी, 15 जुलाई को सूफ़ी संत बाबा हनीफ़उद्दीन की दरगाह बडगाम ज़िले में जल गई। फिर दक्षिण कश्मीर के अवंतिपुरा इलाक़े में सैयद साहिब और फिर तराल के ख़ानक़ाह-ए-फ़ैज़ पनाह को भी जलाने की कोशिश की गई।
29 जून को कुछ लोगों ने गुंड हसीभट मे आलम शरीफ़ को ही नहीं बल्कि क़ुरान को भी आग की नज़र किया
और पिछली रात बीरवाह के अहोम गांव की दरगाह भी फूंक डाली गई।
सरकार का मानना है कि पुलवामा और बडगाम ज़िलों में होने वाली ये घटनाएं साझा तहज़ीब के लोगों को निशाना बनाने का एक इशारा हो सकती हैं। या फिर कश्मीर के मुस्लिम समुदाय में फूट डालने की कोशिश भी हो सकती है।
प्रदेश की पुलिस का कहना है कि राज्य में 200 से ज्यादा सूफ़ी दरगाहें हैं। इनमें हज़रतबल और चरार-ए-शरीफ़ को तो सुरक्षा मिली है लेकिन बाक़ी हर दरगाह पर पहरा नहीं दिया जा सकता। इसके लिए ज़रूरी है कि लोगों को ही इस मुहिम में शामिल करके मोहल्ला समितियां बनाई जाएं।
उधर आईबी की रिपोर्ट जो गृह मंत्रालय को भेजी गई है उसके मुताबिक इससे हालात और बिगड़ सकते हैं। ऐसे वाक़्यों से अलगाववादी नेताओं के भी लहजे तीखे हो रहे हैं। इस बीच राज्य सरकार ने एक बार फिर केंद्र सरकार से अपील की है कि राज्य से अफ्प्सा हटा लिया जाए और इसे राज्य को एक तोहफे की भांति दिया जाए।
दस्तगीर दरगाह जल के कैसे राख हुई, इस बारे में अभी जम्मू कश्मीर सरकार की जांच चल ही रही थी कि एक के बाद एक पांच और दरगाहें आग की नज़र हो गईं।
आग लगने की इन घटनाओं से सुरक्षा एजेंलियों में खलबली मची हुई है। गृह मंत्रालय इसलिए भी चिंतित है क्योंकि यह सारी वारदातें पिछले एक महीने मे हुई हैं।
बता दें कि 25 जून को दस्तगीर साहिब मे आग लगी, 15 जुलाई को सूफ़ी संत बाबा हनीफ़उद्दीन की दरगाह बडगाम ज़िले में जल गई। फिर दक्षिण कश्मीर के अवंतिपुरा इलाक़े में सैयद साहिब और फिर तराल के ख़ानक़ाह-ए-फ़ैज़ पनाह को भी जलाने की कोशिश की गई।
29 जून को कुछ लोगों ने गुंड हसीभट मे आलम शरीफ़ को ही नहीं बल्कि क़ुरान को भी आग की नज़र किया
और पिछली रात बीरवाह के अहोम गांव की दरगाह भी फूंक डाली गई।
सरकार का मानना है कि पुलवामा और बडगाम ज़िलों में होने वाली ये घटनाएं साझा तहज़ीब के लोगों को निशाना बनाने का एक इशारा हो सकती हैं। या फिर कश्मीर के मुस्लिम समुदाय में फूट डालने की कोशिश भी हो सकती है।
प्रदेश की पुलिस का कहना है कि राज्य में 200 से ज्यादा सूफ़ी दरगाहें हैं। इनमें हज़रतबल और चरार-ए-शरीफ़ को तो सुरक्षा मिली है लेकिन बाक़ी हर दरगाह पर पहरा नहीं दिया जा सकता। इसके लिए ज़रूरी है कि लोगों को ही इस मुहिम में शामिल करके मोहल्ला समितियां बनाई जाएं।
उधर आईबी की रिपोर्ट जो गृह मंत्रालय को भेजी गई है उसके मुताबिक इससे हालात और बिगड़ सकते हैं। ऐसे वाक़्यों से अलगाववादी नेताओं के भी लहजे तीखे हो रहे हैं। इस बीच राज्य सरकार ने एक बार फिर केंद्र सरकार से अपील की है कि राज्य से अफ्प्सा हटा लिया जाए और इसे राज्य को एक तोहफे की भांति दिया जाए।
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