नई दिल्ली:
एचटी लीडरशिप समिट के दौरान NDTV के विक्रम चंद्रा के साथ बातचीत में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने विमुद्रीकरण या नोटबंदी के मुद्दे पर सरकार का पक्ष रखते हुए कहा...
- अगर आप देश की 86 प्रतिशत कैश करेंसी को बदलना चाहते हैं, तो उसका एक बड़ा हिस्सा आपको पहले से तैयार रखना ज़रूरी था
- देश में करेंसी की कमी न हो, इसलिए 2,000 रुपये के नोट पहले छापे गए
- नोटबंदी की प्रक्रिया एक दिन की नहीं है, सो, हर रोज़ हालात देखकर रणनीति में बदलाव कर रहे हैं
- यह कुछ महीने में हो जाने वाली प्रक्रिया भी नहीं है, इसमें कहीं ज़्यादा वक्त लगता है, इसलिए तैयारी बहुत पहले शुरू हो जानी चाहिए. सरकार और आरबीआई तैयार रहने पर ज़ोर देते रहे हैं.
- नोटों के वितरण के लिए बैंक और एटीएम खासी तादाद में हैं, इसलिए न सिर्फ छपाई की तैयारी पूरी होनी चाहिए, बल्कि उन्हें सभी जगहों पर पहुंचाने और बांटने की व्यवस्था भी होनी ही चाहिए. सो, आप समझ सकते हैं कि यह कितनी बड़ी प्रक्रिया है. इसमें गोपनीयता बनाए रखने के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करना था कि ज़रूरी जानकारी समय पर सभी को मिलती रहे.
- जब आप बहुत बड़ी आबादी रखते हैं, तो लाइनें तो लगेंगी ही, लेकिन लोगों ने शानदार सहयोग दिया है. देश में किसी तरह का सामाजिक तनाव पैदा नहीं हुआ.
- आप देश को डिजिटल करेंसी की दिशा में ले जा रहे हैं, वही हो रहा है. औपचारिक कारोबार, व्यापार की मात्रा बढ़ेगी, लेकिन काग़ज़ी मुद्रा कम हो जाएगी. शेष की जगह डेबिट कार्ड और ई-वॉलेट इस्तेमाल होंगे.
- नोटबंदी के बाद पहले जितनी काग़ज़ी मुद्रा नहीं रहेगी.
- देश में संप्रति 23 करोड़ ई-वॉलेट हैं. राजनीति और मीडिया में इस पर विश्वास करना मुश्किल है, लेकिन देश हमारी उम्मीदों की तुलना में कहीं तेज़ी से बदल रहा है.
- हम इस साल सबसे तेज़ी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बने रहेंगे.
- यह कदम (नोटबंदी) राजनैतिक फंडिंग को कहीं ज़्यादा पारदर्शी बना देगा.
- तकनीक को रोका नहीं जा सकता, अर्थव्यवस्था का डिजिटाइज़ेशन होकर रहेगा.
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