इस सप्ताह की शुरुआत में चित्तूर के जंगल में मारे गए 20 कथित चंदन तस्करों के मामले में हैदराबाद हाईकोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार को हत्या का मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सवाल किया कि इस मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत अप्राकृतिक मौत का मुकदमा क्यों दर्ज नहीं किया गया।
कोर्ट ने राज्य सरकार को आगामी सोमवार को मामले की अधिक विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराने का भी आदेश दिया है। दरअसल, नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं ने कोर्ट में अपील की थी कि पुलिस ने तमिलनाडु के 20 लोगों को एक 'फर्जी मुठभेड़' में मार डाला है।
इस बीच, आंध्र प्रदेश के वन मंत्री बी गोपालकृष्ण रेड्डी ने एनडीटीवी से कहा, "वे स्मगलर (तस्कर) ही थे, लकड़ी काटने वाले नहीं... जो मारे गए हैं, वे आदतन अपराधी थे, हमारे पास सबूत हैं..."
आंध्र प्रदेश पुलिस के अनुसार, पुलिस के एक कार्य बल तथा वन विभाग के अधिकारियों ने संयुक्त तलाशी अभियान के दौरान 200 से अधिक लोगों को लाल चंदन के पेड़ काटते देखा था और आत्म समर्पण के लिए कहने पर उन लोगों ने पुलिस और वन विभाग के अधिकारियों पर हमला कर दिया, जिसमें छह पुलिसकर्मी घायल हो गए। आंध्र प्रदेश पुलिस के अनुसार, उन्होंने आत्मरक्षा के लिए गोलियां चलाई थीं।
दूसरी ओर, मानवाधिकार समूह की मंगलवार को दायर की गई जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि सेषाचलम की पहाड़ियों पर लाल चंदन की तस्करी में कथित तौर पर लिप्त 20 लोगों की हत्या की गई है, वे लोग मुठभेड़ में नहीं मारे गए हैं। इसके अलावा दो चश्मदीद गवाहों ने भी आरोप लगाया है कि मारे गए कुछ लोगों को तो पुलिस वालों ने एक बस से खींचकर उतारा था।
(इनपुट एजेंसियों से भी)
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