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This Article is From Sep 20, 2013

सांप्रदायिक ताकतों को दें मुहतोड़ जवाब : प्रधानमंत्री

सांप्रदायिक ताकतों को दें मुहतोड़ जवाब : प्रधानमंत्री
नई दिल्ली: मुजफ्फरनगर में हुई हिंसा को 'अत्यंत दुखद घटनाक्रम' करार देते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को लोगों से सांप्रदायिक ताकतों को कड़ी चुनौती देने का आग्रह किया।

यहां राष्ट्रीय सांप्रदायिक सद्भावना सम्मान समारोह में प्रधानमंत्री ने कहा, "एक इंसान के रूप में हमारी पहचान धर्मनिरपेक्ष की है। केवल मुट्ठीभर लोग ही अपने स्वार्थ के लिए हमारे बीच भेदभाव पैदा कर रहे हैं।"

समारोह में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मिजोरम की सामाजिक कार्यकर्ता खामलिना और ओडिशा के मोहम्मद अब्दुल बारी को वर्ष 2011-12 के लिए सांप्रदायिक सद्भावना सम्मान प्रदान किया।

संस्था वर्ग में यह सम्मान दिल्ली के फाउंडेशन फॉर एमिटी एंड नेशनल सोलिडरिटी को दिया गया। उन्होंने कहा, "मैं यह भी मानता हूं कि ऐसी ताकतों का विरोध करना हम में से हर एक का कर्तव्य है।"

प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुई हिंसा का जिक्र किया। यहां हिंसा में 40 से ज्यादा लोगों की जान गई और हजारों लोगों को अपना घर-बार छोड़कर शिविरों में शरण लेना पड़ा है।

मनमोहन सिंह ने कहा, "हम आज देश के कुछ हिस्सों में सांप्रदायिक तनाव चरम पर पहुंचने के बीच यहां जुटे हैं। यह अत्यंत दुखद घटनाक्रम है।" उन्होंने कहा, "हाल की घटनाओं के मद्देनजर हम सब का दायित्व है कि समाज में सद्भाव और मैत्री की भावना को बढ़ावा देने की निजी और सामूहिक जिम्मेदारी का प्रदर्शन करें।"

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अपनी विविधताओं के लिए जाना जाता है और इस देश के पास 'सहिष्णुता की अत्यंत गौरवशाली' विरासत भी है। उन्होंने कहा, "भारत एक ऐसा देश है जहां सदियों तक विभिन्न धर्म विकसित हुए और उन्होंने एक दूसरे समृद्ध किया है।"

प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार सांप्रदायिक सौहार्द कायम रखने का हर संभव प्रयत्न करने में जुटी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक 23 सितंबर को आयोजित की जाएगी जिसमें 'इस बुराई को खत्म करने के उपाय और मार्ग तलाशा जाएगा।'

प्रधानमंत्री ने कहा कि सम्मानित किए गए दोनों व्यक्तियों ने दृष्टांत योग्य काम किए हैं जिस पर हर किसी को गर्व हो सकता है।

इस मौके पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा, "सांप्रदायिकता हमारे समाज से दूर हटती नहीं दिख रही है।" उन्होंने कहा, "ऐसा इसलिए है क्योंकि हम अपने ही इतिहास से सबक क्यों नहीं सीखते, बल्कि बार-बार वही गलती दोहरात रहते हैं।" उन्होंने जोर देकर कहा कि सौहार्द और सहिष्णुता भारतीय लोकाचार की बुनियाद हैं। उन्होंने कहा कि शांति और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखना हर नागरिक का कर्तव्य है। उन्होंने कहा, "यद्यपि सामाजिक शांति और सौहार्द कायम रखना सरकार का काम है, फिर भी इसकी जिम्मेदारी को हर नागरिक के कर्तव्य से पृथक नहीं की जा सकती।"

राष्ट्रपति ने कहा कि सौहार्द और सहिष्णुता भारतीय लोकाचार, परंपरा और इतिहास की बुनियाद हैं। उन्होंने कहा, "इसी विरासत के दम पर भारत ने अपने अंक में विभिन्न धर्मो, सुधार आंदोलनों और सदी तक हमारी चेतना को प्रभावित करने वाले पुनर्जागरण को समेटा और अपनाया।"

मुखर्जी ने कहा, "हमारे संविधान ने सभी भारतीयों के बीच सौहार्द और भाईचारे की भावना को प्रोत्साहित करने के लिए धर्म, भाषा और क्षेत्र या सामुदायिक विविधता को परे रखते हुए हर नागरिक के बुनियादी कर्तव्य को रेखांकित किया है।"

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