
केंद्र के कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन (Farmers Protest) का 67वां दिन है. कड़ाके की ठंड और शीतलहर के बावजूद दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान, कानूनों को रद्द करने से कम पर मानने को तैयार नहीं हैं. इस बीच, विपक्षी दल और उनके नेता भी सरकार को कटघरे में खड़े करने की कोशिश में जुटे हुए हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा किया यदि महात्मा गांधी होते तो किसानों के पक्ष में सत्याग्रह करते होते, फिर बीजेपी-संघ ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया होता.
दिग्विजय सिंह ने रविवार को अपने ट्वीट में लिखा, "यदि बापू होते तो किसानों के पक्ष में सत्याग्रह करते होते, फिर भाजपा/संघ द्वारा उन्हें गिरफ्तार कर लिया होता. भाजपा/संघ हमें फिर से लोकतंत्र से एकतंत्र की तरफ़ ले जा रही है, पर घबराने की बात नहीं है क्योंकि “पहले लड़े थे गोरों से, अब लड़ेंगे चोरों से”.

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इस बीच, भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने सरकार से पूछा है कि वह कृषि कानूनों को वापस क्यों नहीं ले सकती है? टिकैत ने शनिवार को केन्द्र सरकार से कहा कि वह खुद किसानों को बताये कि वह कृषि कानूनों को वापस क्यों नहीं लेना चाहती और ‘‘हम वादा करते हैं कि सरकार का सिर दुनिया के सामने झुकने नहीं देंगे.'' टिकैत ने कहा, "सरकार की ऐसी क्या मजबूरी है कि वह नये कृषि कानूनों को निरस्त नहीं करने पर अड़ी हुई है?''
वीडियो: कृषि कानूनों पर किसान-सरकार बातचीत को तैयार
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