किसान आंदोलन : बलबीर सिंह राजेवाल का आरोप- केंद्र सरकार ने फिर से नहीं शुरू की बातचीत

किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल (Balbir Singh Rajewal) ने शनिवार को केंद्र सरकार (Centre Govt) पर बातचीत फिर से शुरू नहीं करने का आरोप लगाया.

किसान आंदोलन : बलबीर सिंह राजेवाल का आरोप- केंद्र सरकार ने फिर से नहीं शुरू की बातचीत

किसान पिछले साल नवंबर से आंदोलन कर रहे हैं. (फाइल फोटो)

खास बातें

  • नवंबर 2020 से आंदोलन कर रहे किसान
  • नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग
  • सरकार-किसान की सभी वार्ता रहीं विफल
नई दिल्ली:

किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल (Balbir Singh Rajewal) ने शनिवार को केंद्र सरकार (Centre Govt) पर बातचीत फिर से शुरू नहीं करने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि किसानों ने केंद्रीय कृषि कानूनों (Farm Laws) पर बातचीत करने से कभी इनकार नहीं किया. राजेवाल ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘22 जनवरी के बाद से केंद्र सरकार द्वारा कोई बैठक नहीं बुलाई गई है. सरकार की ओर से बातचीत के लिए आगे का रास्ता रोक दिया गया है. हमने बातचीत करने से कभी इनकार नहीं किया.'' उन्होंने कहा कि बातचीत फिर से शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को एक पत्र भी लिखा गया है.

विरोध प्रदर्शन करने वाले 40 से अधिक किसान संघों का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर तीन कृषि कानूनों पर बातचीत फिर से शुरू करने का आग्रह किया था, जिसके खिलाफ वे दिल्ली की सीमाओं पर पिछले साल नवंबर से आंदोलन कर रहे हैं. किसानों और सरकार के बीच कई दौर की वार्ता तीन केंद्रीय कानूनों पर गतिरोध को तोड़ने में विफल रही है.

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एक सरकारी समिति ने 22 जनवरी को किसान नेताओं से मुलाकात की थी. 26 जनवरी के बाद से दोनों पक्षों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई है, जब राष्ट्रीय राजधानी में किसानों की ट्रैक्टर रैली हिंसक हो गई थी. राजेवाल ने शनिवार को केंद्र सरकार को चेतावनी दी कि वे उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में उसके खिलाफ अभियान चलाएंगे, जैसा उन्होंने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान किया था.

उन्होंने कहा कि संघर्ष को और तेज करने के लिए सभी किसान संगठनों का एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जाएगा. हालांकि, COVID-19 महामारी के कारण इस संबंध में किसी तारीख को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका. भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) गुट के अध्यक्ष राजेवाल ने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर उनके विरोध के छह महीने होने के प्रतीक के तौर पर 26 मई को ‘‘काला ​​दिवस'' के रूप में मनाया जाएगा.

उन्होंने कहा कि इस दिन लोगों को कृषि कानूनों के विरोध में अपने घरों, दुकानों, उद्योगों और ट्रैक्टरों पर काले झंडे लहराने चाहिए. इसके अलावा 26 मई को प्रधानमंत्री का पुतला भी फूंका जाएगा. राजेवाल ने हरियाणा में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर आरोप लगाया कि वह दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन को यह कहकर बदनाम करने की कोशिश कर रही है कि इससे कोविड-19 संक्रमण फैल सकता है.

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किसान नेता ने कहा कि उन्होंने टिकरी और सिंघू सीमा पर धरना स्थलों पर संक्रमण से बचाव के लिए आवश्यक प्रबंध किए हैं. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 13 मई को किसानों से कोविड​​​​-19 की गंभीर स्थिति के मद्देनजर अपना आंदोलन स्थगित करने का आग्रह किया था और दावा किया था कि ''धरना'' स्थलों से गांवों के बीच उनकी आवाजाही से गांवों में संक्रमण फैला रहा है.

राजेवाल ने कहा कि उन्होंने विरोध स्थल के पास एक अस्पताल में 10 ऑक्सीजन सिलेंडरों की व्यवस्था की है. उन्होंने कहा, ‘‘हम प्रत्येक प्रदर्शनकारी को ''काढ़ा'' दे रहे हैं. हम विटामिन ए, सी, डी और अन्य दवाएं भी वितरित करते हैं.'' राजेवाल ने अफसोस जताया कि 20 दिन पहले हरियाणा के सोनीपत प्रशासन से अनुरोध किए जाने के बावजूद टिकरी और सिंघू में किसानों के टीकाकरण के लिए कोई नहीं आया.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)