संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukta Kisan Morcha) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर तीन कृषि कानूनों पर बातचीत फिर से शुरू करने का अनुरोध किया है. किसान पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन (Farmers Protest) कर रहे हैं. दोनों पक्षों के बीच बातचीत 26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा के बाद से बंद चल रही है.किसानों और सरकार के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन वे तीन केंद्रीय कानूनों पर गतिरोध को तोड़ने में विफल रही है. संयुक्त किसान मोर्चामें किसानों के 40 संगठन शामिल हैं.
संगठन ने शुक्रवार को कहा कि उसने सरकार से प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ फिर से बातचीत शुरू करने को कहा है. केंद्रीय मंत्रियों की एक सरकारी समिति ने 22 जनवरी को किसान नेताओं से मुलाकात की थी. 26 जनवरी के बाद से दोनों पक्षों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई है. गणतंत्र दिवस के दिन ही राष्ट्रीय राजधानी में किसानों की ट्रैक्टर रैली हिंसक हो गई थी. संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान में कहा कि आज प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर किसानों से बातचीत फिर से शुरू करने को कहा है. इस पत्र में किसान आंदोलन के कई पहलुओं और सरकार के अहंकारी रवैये का जिक्र है.
संगठन ने कहा, प्रदर्शनकारी किसान नहीं चाहते हैं कि कोई भी महामारी की चपेट में आए. साथ में वे संघर्ष को भी नहीं छोड़ सकते हैं, क्योंकि यह जीवन और मृत्यु का मामला है और आने वाली पीढ़ियों का भी. पत्र में कहा गया है कि कोई भी लोकतांत्रिक सरकार उन तीन कानूनों को निरस्त कर देती, जिन्हें किसानों ने खारिज कर दिया है, जिनके नाम पर ये बनाए गए हैं और मौके का इस्तेमाल सभी किसानों को एमएसपी पर कानूनी गारंटी देने के लिए करती. विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की सरकार के मुखिया के तौर पर किसानों के साथ एक गंभीर और ईमानदार बातचीत को फिर से शुरू करने की जिम्मेदारी आप पर है.
किसानों के संगठन ने हाल ही में दिल्ली की सीमाओं पर उनके प्रदर्शन के छह महीने पूरे होने के मौके पर 26 मई को 'काला दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है. किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कृषि कानूनों के विरोध में लोगों से 26 मई को अपने घरों, वाहनों और दुकानों पर काले झंडे लगाने की अपील की है.
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