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This Article is From Dec 09, 2020

किसान आंदोलन में पंजाब और हरियाणा के आढ़ती भी बड़े पैमाने पर शामिल

आढ़ती और किसानों का संबंध गहरा, पंजाब के 78 हजार आढ़ती से करीब दो करोड़ किसान जुड़े, पंजाब- हरियाणा के पांच लाख से ज्यादा मजदूरों को रोजगार देते हैं आढ़ती

किसान आंदोलन में पंजाब और हरियाणा के आढ़ती भी बड़े पैमाने पर शामिल
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

किसान आंदोलन (Farmers' movement) में अब किसानों के अलावा पंजाब और हरियाणा (Haryana) के आढ़ती (Agents) भी बड़े पैमाने पर शामिल हो रहे हैं. बिचौलिया कहने से नाराज आढ़ती क्यों किसान आंदोलन में शामिल हो रहे हैं और किसानों के लिए आढ़ती कैसे जुड़े हैं? NDTV ने यह जानने की कोशिश की. पंजाब (Punjab) के गिदरबाह से टिकरी बार्डर पहुंचे आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान दीपक गर्ग के साथ पांच बसों में सैकड़ों आढ़ती आए हैं. अब वे एक हफ्ते तक दिल्ली के इस धरना स्थल पर बैठेंगे. आढ़ती और किसानों का संबंध इसी से आप लगा सकते हैं कि पंजाब के 78 हजार आढ़ती से करीब दो करोड़ किसान जुड़े हैं. दीपक गर्ग कहते हैं कि ''हमारी क्या औकात है जो हम इन किसानों को पैसे दें. ये हमारे अन्नदाता हैं, हम ऐसा सोच भी नहीं सकते हैं. अब ये इज्जत की बात है.''

महज पंजाब के ही नहीं हरियाणा के आढ़ती भी किसानों के बीच हैं. हरियाणा के उचाणां मंडी के प्रधान वीरेंदर सिंह से करीब दो सौ छोटे-बड़े किसान जुड़े हैं. इसी तरह हरियाणा में करीब 35 हजार आढ़ती हैं जिनसे एक करोड़ किसान जुड़े हैं. गुजरात और बिहार में आढ़त सिस्टम खत्म होने से किसान ज्यादा बदहाल हुए हैं. वीरेंदर सिंह ने कहा कि ''यदि किसान बरबाद हुआ तो आढ़ती भी बरबाद होगा. गुजरात और बिहार में मंडी सिस्टम खत्म कर दिया तो वहां धान नौ सौ रुपये में बिक रहा है. किसान नास हो गया है. यही सिस्टम यहां अपनाना चाहती है.''

प्रदर्शन में शामिल छोटे से लेकर बड़े किसान तक आढ़ती को अपना ATM मानते हैं. जोहिन्दर नैन BKU हरियाणा के प्रधान हैं. वे कहते हैं कि ये हमारे एटीएम हैं. मेरा धान सरकार ने खरीदा, महीना भर बाद भी पैसा नहीं आया. सुख-दुख में हम इन्हीं के पास जाते हैं.

कृषि बिल के समर्थक मानते हैं कि किसान आंदोलन आढ़तियों और बड़े किसानों का है लेकिन मंडी सिस्टम में आढ़ती सिर्फ किसानों को ही नहीं बल्कि पंजाब- हरियाणा के पांच लाख से ज्यादा मजदूरों को भी काम मुहैया कराते हैं. इसी के चलते किसान और आढ़ती दोनों बिल के विरोध में हैं. 

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