किसानों के मुद्दे पर आज राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलेगा 'विभाजित' विपक्ष

तृणमूल कांग्रेस के एक वर्ग ने कहा है कि पार्टी ने राष्‍ट्रपति कोविंद के साथ बैठक से दूर रहने का फैसला किया है. संभवत: तृणमूल कांग्रेस नेताओं को ऐसा लग रहा है कि केवल कांग्रेस और वामदल मामले में वर्चस्‍व बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

किसानों के मुद्दे पर आज राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलेगा 'विभाजित' विपक्ष

राष्‍ट्रपति भवन ने केवल पांच पार्टियों के प्रतिनिधियों को मिलने की इजाजत दी है

खास बातें

  • तूणमूल कांग्रेस ने 'मीटिंग' से दूर रहने का फैसला किया
  • संभवत: उसे लग रहा, कांग्रेस-वाम दल बना रहे 'वर्चस्‍व'
  • तीन कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनरत हैं किसान
नई दिल्ली:

Farmers Protest: किसानों से संबंधित मुद्दों को लेकर विपक्ष के नेताओं (Opposition leaders) की एक टीम आज शाम को राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) से भेंट कर उन्‍हें ज्ञापन सौंपेगी. इस टीम में ज्‍यादातर कांग्रेस और वाम पार्टियों के नेता हैं. किसानों के मुद्दे पर विपक्ष के बीच फूट पड़ने की चर्चाओं के बीच यह मीटिंग हो रही है. तृणमूल कांग्रेस के एक वर्ग ने कहा है कि पार्टी ने राष्‍ट्रपति कोविंद के साथ बैठक से दूर रहने का फैसला किया है.

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संभवत: तृणमूल कांग्रेस नेताओं को ऐसा लग रहा है कि केवल कांग्रेस और वामदल मामले में वर्चस्‍व बनाने की कोशिश कर रहे हैं. वैसे, कुल 24 विपक्षी पार्टियों ने किसानों के आंदोलन को समर्थन दिया है और माना जा रही है कि इन सभी पार्टियों की ओर से राष्‍ट्रपति को ज्ञापन सौंपा जाएगा लेकिन कोविड-19 के चलते राष्‍ट्रपति भवन ने केवल पांच पार्टियों के प्रतिनिधियों को मिलने की इजाजत दी है. प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, द्रमुक के टीकेएस एलनगोवनन, भाकपा के महासचिव डी राजा और माकपा के सीताराम येचुरी शामिल होंगे.

विपक्षी पार्टियों ने इससे पहले, राष्‍ट्रपति से किसान विधेयक पर हस्‍ताक्षर नहीं करने का आग्रह किया है. विपक्ष का आरोप था कि राज्‍यसभा से इन बिलों को अलोकतांत्रिक तरीके से पास कराया गया. हालांकि राष्‍ट्रपति ने इस आग्रह को नजरअंदाज करके बिल को मंजूरी दे दी थी. किसानों की ओर से कल किए गए भारत बंद को कांग्रेस, आम आदमी, डीएमके और तेलंगाना राष्‍ट्र समिति सहित देश की ज्‍यादातर विपक्षी पार्टियों का समर्थन हासिल था.

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कांग्रेस समेत कुछ अन्य विपक्षी दलों ने किसानों के आंदोलन को अपना समर्थन दिया है और तीनों कृषि कानूनों (Farm laws) को वापस लेने की मांग की है. कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर सरकार ने सितंबर में तीनों कृषि कानूनों को लागू किया था. सरकार ने कहा था कि इन कानूनों के बाद बिचौलिए की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसानों को देश में कहीं पर भी अपने उत्पाद को बेचने की अनुमति होगी. 

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