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This Article is From Jun 21, 2021

Ground Report: अरावली रेंज में बसे खोरी गांव के लोगों का आशियाना उजड़ रहा, कौन सुनेगा फरियाद?

हरियाणा के मुख्यमंत्री कहते हैं कि उनकी सरकार ऐसे लोगों के पुनर्वास की योजना पर विचार कर रही है, लेकिन पुनर्वास उनका ही होगा जो हरियाणा के रहने वाले हैं, दूसरे राज्यों से आकर बसने वालों की नहीं.

खोरी गांव की झुग्गी-झोपड़ियों को कोर्ट के आदेश के बाद ढहाया जा रहा है...

फरीदाबाद:

दिल्ली के क़रीब अरावली रेंज में बसे खोरी गांव रह रहे क़रीब 40 हज़ार लोगों को वहां से हटाए जाने के लिए तय मियाद गुज़र चुकी है. उनकी झुग्गी झोंपड़ियों को गिराने का काम शुरू हो चुका है, लेकिन उनका पुनर्वास कहां और कैसे होगा इसकी कोई योजना किसी के पास नहीं है. 40 साल की सरवरी की ज़िंदगी जैसे थम सी गई है. फ़रीदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने उनका घर उजाड़ दिया वो भी कोरोना महामारी के बीच. सरवरी ने कहा कि गरीबों को हमेशा सताया जाता है, अमीरों को नहीं. हम यहां 15 साल से रह रहे हैं. हम लेबर क्लास हैं. हमारे पास और कुछ नहीं है. लॉकडाउन के कारण बचत भी खत्म हो चुकी है. सरकार कहती है जहां झुग्गी वहां मकान, अब तो झुग्गी भी नहीं रही.

फरीदाबाद के ही खोरी गांव के निवासी तरुण बर्मन ने कहा कि हमारे पीछे 5 स्टार होटल और बड़ी इमारतें बनी हैं. ये सभी भी अरावली रेंज में आती हैं, लेकिन सिर्फ गरीबों को बाहर फेंका जा रहा है.यहीं रहने वाले घनश्याम ने कहा कि उन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी की बचत इस घर को बनाने में लगा दी. पांच लोगों का उनका परिवार बमुश्किल दो जून की रोटी जुटा पाता है, लेकिन अब न उसके घर पर छत बची है न दरवाज़ा.

हरियाणा के सीएम की दलील
इस गांव में रहने वाले अधिकतर लोगों के पास वोटर आईडी कार्ड या आधार कार्ड हैं. इसके बावजूद अपने आशियाने ढहा दिए जाने से वो मायूस हैं. हरियाणा के मुख्यमंत्री कहते हैं कि उनकी सरकार ऐसे लोगों के पुनर्वास की योजना पर विचार कर रही है, लेकिन पुनर्वास उनका ही होगा जो हरियाणा के रहने वाले हैं, दूसरे राज्यों से आकर बसने वालों की नहीं. उन्होंने कहा कि कई बार इस तरह की कॉलोनियां बसती हैं. गैरकानूनी कंस्ट्रक्शन होता है. वो जगह वन की है.  बिना परमिशन के वहां सारी चीजें हुई हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर है तो ये होगा ही, लेकिन जो भी हरियाणा के हैं उनके पुनर्वास की योजना पर विचार हो रहा है.

ये है आदेश
- 7 जून को सुप्रीम कोर्ट ने फ़रीदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन को निर्देश दिया था कि वो खोरी गांव में बने अवैध निर्माण को छह हफ़्ते में हटाए जो अरावली पहाड़ियों के संरक्षित हरित इलाके में आता है.
- वन क़ानून के तहत नोटिफाइड वन इलाके में किसी भी तरह के निर्माण की इजाज़त नहीं है. लेकिन बीते कई सालों में सरकार ने इस ओर आंखें मूंदे रखीं. यहां रह रहे कई लोगों का कहना है कि वो बीते तीस साल से यहां रहते आ रहे हैं.
-ये लोग इस बात से और भी नाराज़ हैं कि उनके आसपास ही बनी कई बहुमंज़िला इमारतों और होटलों को छुआ तक नहीं गया.म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन की दलील है कि इन इमारतों को बनाने का परमिट लिया जा चुका है.

70 साल के बुजुर्ग ने पेड़ से लटककर की आत्महत्या
इसी हफ़्ते 70 साल के एक बुज़ुर्ग ने यहां आत्महत्या कर ली. उसके पड़ोसियों का कहना है कि हाल ही में उसने कर्ज़ लेकर घर बनाया था और अब उसे ढहाए जाने की आशंका से परेशान था. इसलिए उन्होंने खुद को पेड़ से लटका लिया. इस बीच सूरजकुंड पुलिस का कहना है कि उसने एक पॉपर्टी डीलर के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया है जिसने ख़ुदकुशी करने वाले बुज़ुर्ग को धोखे से सरकारी ज़मीन बेच दी.

खोरी गांव के लोगों की मुसीबत इसलिए भी बढ़ी
खोरी गांव के लोगों की मुसीबत इसलिए और भी बढ़ गई है कि उनके बिजली और पानी के कनेक्शन काट दिए गए हैं. ऊपर से कोरोना महामारी में काम भी छिन गया है. घर पहले ही ढहाए जाने शुरू हो चुके हैं. ऐसे में इन लोगों के पुनर्वास की मानवीय पहल की ज़िम्मेदारी से सरकारें अपना मुंह नहीं मोड़ सकती. ये लोग उसी की व्यवस्था में ठगे जाने का खमियाज़ा भुगत रहे हैं. 

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