दो हफ्ते पहले अमेरीकी सीनेट कमेटी में फ्रांसिस हॉगन के पेश होने के बाद अब एक और व्हिलसब्लोअर (Whistleblower) ने आरोप लगाते हुए बताया है कि कैसे फेसबुक (Facebook) ने मुनाफा कमाने के लिए फर्जी अकाउंट और गलत जानकारी के जरिए लोगों को गुमराह किया है. एनडीटीवी से बातचीत करते हुए व्हिलसब्लोअर सोफी झांग (Sophie Zhang) ने बताया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने चुनावों को प्रभावित करने के लिए फर्जी अकाउंट नेटवर्कों का सहारा लिया. जिसके बाद सिर्फ बीजेपी सांसद से जुड़े नेटवर्क को छोड़कर सभी को फेसबुक से हटा दिया गया.
बता दें कि तीन साल तक फेसबुक में डाटा साइंटिस्ट के तौर पर काम करने वाली सोफी को 2020 में खराब परफॉर्मेंस के चलते बाहर कर दिया. वहीं झांग का कहना है कि फेसबुक पर हो रहे फर्जीवाडे का मुद्दा उठाने पर उन्हें बर्खास्त किया गया है. हालांकि नौकरी छोड़ने से पहले उन्होंने एक रिपोर्ट तैयार की जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे फेसबुक मुनाफा कमाने के लिए लोकतंत्र की हत्या कर रहा है. फेसबुक ने इन सभी आरोपों को गलत बताया.
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एनडीटीवी से बातचीत करते हुए सोफी झांग ने बताया कि 2019 के आखिर में हमें पांच फर्जी नेटवर्कों के बारे में पता चला. जिनमें से दो भाजपा और दो कांग्रेस को समर्थन करने वाले थे. जिनमें से हमने दो कांग्रेस और एक भाजपा के नेटवर्क को हटा दिया था. वहीं आखिरी को हटाने से तुरंत पहले कंपनी ने हमें रोक दिया क्योंकि उन्हें लगा कि चौथा नेटवर्क भाजपा के सांसद से जुड़ा हुआ है. जिसके चलते मैं कुछ नहीं कर सकी.
उन्होंने बताया कि 2020 के जनवरी माह में मैंने हजारों ऐसे अकाउंटों के नेटवर्क का पता लगाया जो प्रो 'आप' मैसेज फैला रहे थे और ये अकाउंट खुद को बीजेपी समर्थक दिखा रहे थे और कह रहे थे कि उन्होंने पीएम मोदी को वोट दिया है लेकिन दिल्ली में वह आम आदमी को सपोर्ट कर रहे हैं. इस पांचवें नेटवर्क को उन्होंने जनवरी में फेसबुक से हटा दिया. मुझे याद है कि सिर्फ भाजपा नेता से जुड़ा नेटवर्क मैं नहीं हटा सकी.
साथ ही उन्होंने बताया कि उस पर कार्रवाई नहीं करने के निर्देश दिए गए. जानकारी करने पर पता चला कि यह पांचवां फर्जी नेटवर्क एक भाजपा सांसद से जुड़ा है. मैंने जब इस पर भी कार्रवाई करने की बात कही तो यह कहते हुए इनकार कर दिया गया कि यह भाजपा के एक बड़े नेता से जुड़ा हुआ है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह से भारत में काम किया जा रहा है. इसे ऐसे भी देखा जा सकता है कि अगर कोई बैंक में डकैती डालता है तो उसे पुलिस पकड़ेगी लेकिन अगर कोई सांसद डकैती डालता है तो उस पर कार्रवाई करने से पहले सोचेगी. क्योंकि उन्हें गिरफ्तार करने मुश्किल होगा. ऐसा ही कुछ फेसबुक पर भी हुआ.
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