पाकिस्तान ने बुधवार को औपचारिक तौर पर ऐलान किया कि वो भारत से मदद के तौर पर 50 हज़ार मीट्रिक टन गेंहू अफ़गानिस्तान भेजने के लिए ज़मीन का रास्ता देगा. साथ ही वो भारत में स्वास्थ्य ज़रूरतों के लिए आए और आने के बाद फंस गए अफ़ग़ान नागरिकों को अपने मुल्क़ वापस लौटने के लिए ज़मीनी सीमा खोलेगा. पाकिस्तान का ये फ़ैसला ऐसे ही नहीं आया है. इसके पीछे कुछ ऐसा घटा है जो भारत के प्रति तालिबान के बदले हुए रवैय्ये को दर्शाता है. सूत्रों के मुताबिक़, तालिबान और पाकिस्तान के बीच चाहे जितनी भी नज़दीकी हो, तालिबान पाकिस्तान के साथ बातचीत को आगे बढ़ाते समय भारत के रुख़ को भी पूरी अहमितय दे रहा है. एक विश्वस्त सूत्र के मुताबिक़ तालिबान के स्वयंभू सत्ता के विदेश मंत्री आमिर खान मुतक्की जब 10 नवंबर को पाकिस्तान के दौरे पर जा रहे थे, तालिबान ने भारत में अपने संपर्क सूत्र के ज़रिए जानना चाहा कि ऐसा कौन सा मुद्दा है जिसे तालिबान पाकिस्तान के सामने उठाए.
पाकिस्तान भारत को जमीन के रास्ते 50 हजार मीट्रिक टन गेहूं अफगानिस्तान भेजने देने के लिए तैयार
मुतक्की की तरफ़ से आए दरयाफ़्त में ये भी जानने की कोशिश हुई कि पाकिस्तान के साथ बातचीत में ऐसी किन बातों का ख़्याल रखा जाए जो भारत को पसंद या नापसंद हो. ग़ौरतलब है कि तालिबानी सत्ता के विदेश मंत्री का ये पहला विदेशी दौरा था. तालिबान की तमाम उम्मीदों के बावजूद पाकिस्तान ने उसकी सत्ता को अब तक मान्यता नहीं दी है. इतना ज़रूर है कि पाकिस्तान ने उसके चार नुमाइंदों को राजनयिक का दर्जा देकर पाकिस्तान में अफ़ग़ानिस्तान के दूतावास और कांसुलेट में आने दिया है.
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मुत्तकी के दफ़्तर के दरयाफ़्त पर भारत के स्थिति संपर्क सूत्र ने जानकारी दी कि मुत्तकी पाकिस्तान के साथ भारत से इमदाद में मिलने वाले गेंहूं का मुद्दा उठाए. भारत बहुत पहले ऐलान कर चुका है कि वो अफ़ग़ानिस्तान को पचास हज़ार मीट्रिक टन गेंहू मानवीय मदद के तौर पर भेजना चाहता है. लेकिन पाकिस्तान इसके लिए अपना सड़क मार्ग नहीं दे रहा है.
साथ ही, भारत में फंसे अफ़ग़ानियों को अपने मुल्क़ वापस लौटने देने में भी पाकिस्तान बाधा बना हुआ है. मुत्तकी के दफ़्तर को ये भी बताया गया. अगर कोई अफ़ग़ानी लौटना चाहता है तो उसे साढ़े आठ सौ डालर का हवाई टिकट ख़रीदना पड़ रहा है क्योंकि भारत अफ़ग़ानिस्तान की सीधी उड़ान नहीं है. तीसरे देश के ज़रिए ले जाने वाले एयरलाइंस अफ़ग़ानियों से बेहिसाब किराया वसूल रहे हैं.
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सूत्रों के मुताबिक़ इन दोनों फीडबैक को मुत्तकी की पाकिस्तान यात्रा के दौरान उठाया गया. ये बात ऊपर तक गई तभी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अफ़ग़ानिस्तान को लेकर गठित इंटरमिनिस्टीरियल कोआर्डिनेशन सेल की पहली बैठक में इन दोनों फ़ैसलों का ऐलान किया और कहा कि अफ़ग़ानिस्तान को भारत से जाने वाले गेहूं के लिए पाकिस्तान रास्ता देगा. साथ ही स्वास्थ्य वजहों से भारत जाकर फंसने वाले अफ़ग़ानियों की वापसी के लिए भी रास्ता देगा.
इस बाबत बुधवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने राजनयिक चैनल के ज़रिए भारत को इस फ़ैसले की जानकारी दी है और बयान भी जारी किया है.
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सूत्र का दावा है कि तालिबान पाकिस्तान और भारत के साथ संबंधों को लेकर एक संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है. इसलिए तालिबान ने भारत में सात देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक को लेकर भी कोई नकारात्कम प्रतिक्रिया नहीं दी. तालिबानी प्रवक्ता ज़बीबुल्लाह मुजाहिद ने इसे अफ़ग़ानिस्तान के हित में बताया था. कहा था कि बेशक हम इस बैठक में मौजूद नहीं थे लेकिन हमें लगता है कि ये अफ़ग़ानिस्तान की बेहतरी की मंशा के साथ किया गया.
भारत तालिबान की सत्ता को मंज़ूरी देने की जल्दबाज़ी में नहीं है हालांकि तालिबान के साथ संपर्क को बिल्कुल मना नहीं किया है. तालिबान ने जब अफ़ग़ानिस्तान पर पूरी तरह कब्ज़ा कर लिया है और अमेरिका जैसी ताक़त वहां अब वापस नहीं आने वाली, ऐसे में भारत अफ़ग़ानिस्तान को पूरी तरह से पाकिस्तान के हाथों खेलने के लिए नहीं छोड़ सकता. वो तालिबान को बेशक नापसंद करे लेकिन अगर तालिबान भारत से कुछ चाहता है तो उसे पाकिस्तान पर पूरी तरह से आश्रित होने से रोकने के लिए कुछ न कुछ करते रहना पड़ेगा.
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