नई दिल्ली:
वन रैंक वन पेंशन की मांग को लेकर जंतर मंतर पर बैठे पूर्व सैनिकों ने केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के बाहर अपना नया ठिकाना बना लिया है। रविववार सुबह नौ बजे से ही पूर्व सैनिक वित्त मंत्री के घर के बाहर धरने पर बैठ गये हैं।
ये सैनिक जेटली को ही सही तरीके से ओआरओपी लागू नहीं होने के लिये जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। इससे कृष्णा मेनन मार्ग का एक ओर का रास्ता बंद हो गया है। वैसे पिछले 216 दिन से दिल्ली के जंतर पर भी ओआऱओपी को लेकर पूर्व सैनिकों का धरना जारी है।
पिछले हफ्ते भी इन सैनिकों ने वित्त मंत्री के अधिकारिक निवास के बाहर धरना दिया था लेकिन भरोसा मिलने पर फिर वहां से उठ गए। लेकिन अब इन्होंने तय किया है कि जब तक सरकार बातचीत के लिये आगे नहीं आती है, ऐसे ही सैकड़ों पूर्व सैनिक सड़क पर बैठे रहेंगे। इस महीने की शुरुआत में पूर्व सैनिक वित्त मंत्री से मिले थे और उन्हें ओआरओपी में हुई विसंगतियों के बारे में बताया था। तब सरकार ने भरोसा दिया था कि इस हफ्ते वो कुछ जबाब देगी।
इंडियन एक्स सर्विसमेन मूवमेंट के चेयरमेन मेजर जनरल सतबीर सिंह ने कहा कि हमने तीन जनवरी को जेटली से मुलाकात की औऱ उन्होंने कहा कि एक हफ्ते के भीतर वो रक्ष मंत्री मनोहर पर्रिकर से बात करेंगे। फिर 9 जनवरी को हमने चिट्ठी लिखी और उनके दफ्तर में बात की लेकिन कोई जवाब नहीं आया। लिहाजा हमलोगों के पास घेराव करने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा। अब हमने तय कर लिया है जब तक रक्षा मंत्री और वित्त मंत्री आकर हमसे बात नहीं करते तब तक हम यहां से नहीं उठेंगे।
इनके प्रवक्ता कर्नल अनिल कौल ने कहा कि हमें पता लगा है कि शायद अरुण जेटली लंदन में हैं, बावजूद इसके जब तक सरकार का कोई नुमांइदा हमसे आकर बात नहीं करता और हमारे मसले को हल नहीं करता तब तक हम यहां से नहीं हिलेंगे। इससे पहले 14 अगस्त को जंतर मंतर से इन पूर्व सैनिकों को पुलिस ने बल पूर्वक हटाने की कोशिश की थी लेकिन उसकी जबरदस्त आलोचना हुई जिसके बाद सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा। वैसे सरकार ने ओआरओपी को लेकर नौ नवंबर को नोटिफिकेशन निकाला था लेकिन पूर्व सैनिकों ने एक गुट ने इसे मानने से इंकार कर दिया है। इनकी मांग है कि सरकार वही ओआरओपी लागू करे जिसका वायदा उन्होंने संसद में किया है।
ये सैनिक जेटली को ही सही तरीके से ओआरओपी लागू नहीं होने के लिये जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। इससे कृष्णा मेनन मार्ग का एक ओर का रास्ता बंद हो गया है। वैसे पिछले 216 दिन से दिल्ली के जंतर पर भी ओआऱओपी को लेकर पूर्व सैनिकों का धरना जारी है।
पिछले हफ्ते भी इन सैनिकों ने वित्त मंत्री के अधिकारिक निवास के बाहर धरना दिया था लेकिन भरोसा मिलने पर फिर वहां से उठ गए। लेकिन अब इन्होंने तय किया है कि जब तक सरकार बातचीत के लिये आगे नहीं आती है, ऐसे ही सैकड़ों पूर्व सैनिक सड़क पर बैठे रहेंगे। इस महीने की शुरुआत में पूर्व सैनिक वित्त मंत्री से मिले थे और उन्हें ओआरओपी में हुई विसंगतियों के बारे में बताया था। तब सरकार ने भरोसा दिया था कि इस हफ्ते वो कुछ जबाब देगी।
इंडियन एक्स सर्विसमेन मूवमेंट के चेयरमेन मेजर जनरल सतबीर सिंह ने कहा कि हमने तीन जनवरी को जेटली से मुलाकात की औऱ उन्होंने कहा कि एक हफ्ते के भीतर वो रक्ष मंत्री मनोहर पर्रिकर से बात करेंगे। फिर 9 जनवरी को हमने चिट्ठी लिखी और उनके दफ्तर में बात की लेकिन कोई जवाब नहीं आया। लिहाजा हमलोगों के पास घेराव करने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा। अब हमने तय कर लिया है जब तक रक्षा मंत्री और वित्त मंत्री आकर हमसे बात नहीं करते तब तक हम यहां से नहीं उठेंगे।
इनके प्रवक्ता कर्नल अनिल कौल ने कहा कि हमें पता लगा है कि शायद अरुण जेटली लंदन में हैं, बावजूद इसके जब तक सरकार का कोई नुमांइदा हमसे आकर बात नहीं करता और हमारे मसले को हल नहीं करता तब तक हम यहां से नहीं हिलेंगे। इससे पहले 14 अगस्त को जंतर मंतर से इन पूर्व सैनिकों को पुलिस ने बल पूर्वक हटाने की कोशिश की थी लेकिन उसकी जबरदस्त आलोचना हुई जिसके बाद सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा। वैसे सरकार ने ओआरओपी को लेकर नौ नवंबर को नोटिफिकेशन निकाला था लेकिन पूर्व सैनिकों ने एक गुट ने इसे मानने से इंकार कर दिया है। इनकी मांग है कि सरकार वही ओआरओपी लागू करे जिसका वायदा उन्होंने संसद में किया है।
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