
Indira Gandhi Death Anniversary: भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आज 36वीं पुण्यतिथि है. 31 अक्टूबर, 1984 को उनके ही अंगरक्षकों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी, उस वक्त इंदिरा प्रधानमंत्री आवास में ही पूजा करने जा रही थीं. इंदिरा गांधी को उनके मजबूत फैसलों की वजह से देश आयरन लेडी के रूप में भी जानता है. 1966 में प्रधानमंत्री बनने पर इंदिरा गांधी को उनके आलोचक गुड़िया कहकर बुलाते थे लेकिन 11 साल के अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने कठोर फैसलों से न केवल विरोधियों की बोलती बंद की बल्कि अपने मजबूत इरादों का लोहा भी मनवाया.
इसी क्रम में इंदिरा ने गरीबी हटाओ का नारा दिया. उनके कामकाज में उनके छोटे बेटे संजय गांधी की बड़ी दखल थी. उन्होंने जनसंख्या विस्फोट को कम करने के लिए आपातकाल में नसबंदी योजना लागू कर दी थी. लोगों में इसके खिलाफ जबर्दस्त गुस्सा था. 1975 में जब उनके खिलाफ देशव्यापी आंदोलन हुए तो उन्होंने आपातकाल की घोषणा कर दी थी. इसका नतीजा यह हुआ कि 1977 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा. यहां तक कि अमेठी से संजय गांधी को भी हार का मुंह देखना पड़ा था.
हालांकि, इंदिरा गांधी उस हार से बौखलाई नहीं थीं बल्कि उन्होंने धैर्य और हिम्मत से काम लेते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं में नया जोश भरा था. तब इंदिरा गांधी ने हताश-निराश कांग्रेस कार्यकर्ताओं को नया सपना दिखाया था. इंदिरा गांधी की दोस्त पुपुल जयकर ने अपनी किताब 'इंदिरा: ऐन एंटिमेट बायोग्राफी' में लिखा है कि इंदिरा गांधी अपनी सभाओं में कहा करती थीं, “मैं एक प्रैक्टिकल इंसान हूं, मैं प्रैक्टिकल हूं क्योंकि सपनों को हकीकत में बदलना चाहती हूं और जानती हूं. मैं नहीं समझती कि हम सपनों के बिना रह सकते हैं.” इसी का नतीजा था कि 1980 में जब फिर से आम चुनाव हुए तो कांग्रेस पार्टी की प्रचंड जीत हुई थी.
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पुपुल जयकर ने लिखा है, "इंदिरा गांधी को डर था कि कहीं मोरारजी सरकार उन्हें गिरफ्तार न करवा दे. आखिरकार उनका डर सच साबित हुआ, जब मोरारजी सरकार ने 3 अक्टूबर 1977 को इंदिरा गांधी को गिरफ्तार करवा दिया. उनके साथ चार पूर्व केंद्रीय मंत्रियों- एच आर गोखले, डीपी चटोपाध्याय, पीसी सेठ और केडी मालवीय की भी गिरफ्तारी हुई. इंदिरा पर 1977 के चुनाव में दो कंपनियों से जबरन 104 जीप लेने का आरोप था. इसके अलावा एक फ्रांसीसी कंपनी को 1.34 करोड़ रुपये पेट्रोलियम ठेके देने में गड़बड़ी के आरोप थे."
जयकर के मुताबिक, "जब इंदिरा की गिरफ्तारी हुई थी, तब कार्यकर्ता जमा होकर उनके पक्ष में नारेबाजी कर रहे थे- लाठी गोली खाएंगे, इंदिराजी को लाएंगे, जेल हम जाएंगे, इंदिरा जी को लाएंगे." कार्यकर्ताओं का यह जोश देखकर इंदिरा गांधी में हिम्मत आ गई थी. इसके बाद उन्होंने सहयोगियों के साथ मिलकर नई सियासी रणनीति बनाई थी. उन्होंने कार्यकर्ताओं से भावनात्मक जुड़ाव जारी रखा. इंदिरा को अगले ही दिन बिना शर्त जमानत मिल गई. इससे कांग्रेस कार्यकर्ता उत्साहित हो उठे थे.
1978 में जब जनता पार्टी की सरकार ने दोबारा इंदिरा गांधी को गिरफ्तार करवाया तो देशभर में कांग्रेस कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए थे. आयरन लेडी ने बहुत कम समय में ही जनता में जोश भर दिया था. पांच दिन बाद फिर से इंदिरा को जमानत मिल गई थी. 1977 में चुनाव हारने के पांच महीने बाद ही जब इंदिरा गांधी हाथी पर चढ़कर बिहार में हुए बेलछी नरसंहार के पीड़ित दलित परिवारों से मिलने पहुंची थीं तब दलितों में इसका खास संदेश गया था.
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