नई दिल्ली:
HT लीडरशिप समिट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि देश में आर्थिक सुधार रूक गया है, ऐसा कहना गलत है। इसके साथ ही उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था और अन्य कई अहम बिंदुओं पर अपनी राय जाहिर की।
पढि़ए, प्रमुख बातें...
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- देश में आर्थिक सुधार रूक गया है, ऐसा कहना गलत है।
- राज्यसभा में सुधार के फैसले रूके, ये कहना भी गलत है।
- राजनीति क्रिकेट नहीं है।
- मुद्रा स्फीति के लक्ष्य को लेकर चिंतित नहीं।
- सरकार की नीतियों को विचारधारा से बांधना ठीक नहीं।
- हमने रेलवे के लिए बजट बढ़ाया।
- मुझे लगता है संसद और अदालत के लिए ड्रामा जैसे शब्द का उपयोग अनुचित है।
- अदालत और संसद के बीच मूलभूत अंतर है।
- संसद एक फोरम है, जहां जनप्रतिनिधि इकट्ठा होते हैं, जिनके अंदर अपने निर्वाचन आयोग को लेकर सरोकार और संवेदना होती है।
- अदालतें अलग होती हैं, वह मूलत: मामले के कानूनी पहलू में दख़ल रखती हैं, इसलिए अदालत की कार्रवाई कभी भी थकाने वाली नहीं होती हैं।
- बिहार में रेलवे की लोकोमोटिव फैक्ट्री लगेगी।
- टीवी की बहसों और असल खबर में काफी अंतर है।
- मुझे याद नहीं कि 1991 में सुधार प्रक्रिया शुरू होने के बाद से अब तक एक भी ऐसा कानून नहीं है, जिसे राज्यसभा में पारित न होने की वजह से छोड़ दिया गया।
- देर होती हैं, लेकिन किसी भी कानून को असीमित समय के लिए नहीं छोड़ दिया गया है।
- सातवें वेतन आयोग को लेकर राजकोषीय दबाव 2-3 साल तक रहेगा।
- सरकार को राजनीतिक व्यावहारिकता के साथ लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दर में कटौती पर विचार
- राजनीतिक व्यावहारिकता ध्यान में रखते हुए करना है, इस दिशा में सतर्कता से आगे बढ़ना होगा।
- सार्वजनिक बहस के नियमन तय करने की स्थिति में नहीं हूं, टेलीविजन पर समाचार विश्लेषण और वास्तविक समाचारों में अंतर है।
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