अहमदाबाद:
अहमदाबाद के आईटी प्रोफेशनल विनय पटेल और देवांग शाह इन गर्मी की छुट्टियों में नेपाल जाने की योजना बना रहे थे, लेकिन वहां आये भूकम्प से पूरी योजना खत्म हो गई है। ये पहली बार नहीं है कि उनकी योजना बरबाद हो गई है। दिवाली की छुट्टियों में उन्होंने कश्मीर जाने की योजना बनाई थी, लेकिन वहां बाढ़ आ जाने से उस योजना पर पानी फिर गया था।
उसी कैन्सीलेशन के पैसे से नेपाल बुकिंग करवाया गया था या यूं कहें कि टूर ऑपरेटर ने उसी बुकिंग को नेपाल बुकिंग में बदल दिया था, लेकिन अब इनका नेपाल जाना संभव नहीं हो पाया। गुजराती समुदाय अपने प्रवास प्रेम के लिए जाने जाते हैं। खासकर के गर्मी की छुट्टिय़ों में आम तौर पर गुजराती लोग हिमालय या कहें कि पहाड़ों और नेपाल जैसी जगहों पर बड़ी संख्या में जाते हैं। लेकिन इस साल नेपाल में भूकम्प की वजह से वहां की योजनायें ठप्प हो रही हैं। एक तरफ नई बुकिंग नहीं हो रही है और कुदरती आपदा की वजह से बड़ी संख्या में केन्सीलेशन ने गुजरात के टूरिज्म व्यवसाय की कमर ही तोड़ दी है।
अक्षर ट्रावेल्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मनीष शर्मा का कहना है कि सिर्फ उनके यहां से ही गर्मी की छुट्टियों का उत्तर भारत के लिए करीब 10,000 लोगों का बुकिंग थी जिसमें से आधी केन्सील हो चुकी है। अब ज्यादा तवज्जो दक्षिण भारत की यात्रा पर ही हो रहा है। और इस नुकसान से उबरने में गुजरात की टुरिज्म व्यवसाय को महीनों लग जाएंगे।
इतना कम है कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा भी संकटों में घिरी है। तकनीकी कारणों से 28 अप्रैल को जानेवाली पहली खेप पहले ही रद्द हो चुकी है और मई और जून में होनेवाली अन्य खेपों पर भी सवालिया निशान लग गया है।
उसी कैन्सीलेशन के पैसे से नेपाल बुकिंग करवाया गया था या यूं कहें कि टूर ऑपरेटर ने उसी बुकिंग को नेपाल बुकिंग में बदल दिया था, लेकिन अब इनका नेपाल जाना संभव नहीं हो पाया। गुजराती समुदाय अपने प्रवास प्रेम के लिए जाने जाते हैं। खासकर के गर्मी की छुट्टिय़ों में आम तौर पर गुजराती लोग हिमालय या कहें कि पहाड़ों और नेपाल जैसी जगहों पर बड़ी संख्या में जाते हैं। लेकिन इस साल नेपाल में भूकम्प की वजह से वहां की योजनायें ठप्प हो रही हैं। एक तरफ नई बुकिंग नहीं हो रही है और कुदरती आपदा की वजह से बड़ी संख्या में केन्सीलेशन ने गुजरात के टूरिज्म व्यवसाय की कमर ही तोड़ दी है।
अक्षर ट्रावेल्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मनीष शर्मा का कहना है कि सिर्फ उनके यहां से ही गर्मी की छुट्टियों का उत्तर भारत के लिए करीब 10,000 लोगों का बुकिंग थी जिसमें से आधी केन्सील हो चुकी है। अब ज्यादा तवज्जो दक्षिण भारत की यात्रा पर ही हो रहा है। और इस नुकसान से उबरने में गुजरात की टुरिज्म व्यवसाय को महीनों लग जाएंगे।
इतना कम है कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा भी संकटों में घिरी है। तकनीकी कारणों से 28 अप्रैल को जानेवाली पहली खेप पहले ही रद्द हो चुकी है और मई और जून में होनेवाली अन्य खेपों पर भी सवालिया निशान लग गया है।
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