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This Article is From Oct 14, 2014

अर्थशास्त्रियों ने की प्रधानमंत्री से गुजारिश, मनरेगा के प्रावधानों को कमजोर न किया जाए

अर्थशास्त्रियों ने की प्रधानमंत्री से गुजारिश, मनरेगा के प्रावधानों को कमजोर न किया जाए
नई दिल्ली:

देश के कई प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम (मनरेगा) के प्रावधानों को कमजोर नहीं किया जाना चाहिए। इस कार्यक्रम के जरिये लाखों गरीबों को आर्थिक सुरक्षा मिली है।

प्रधानमंत्री को लिखे खुले पत्र पर दस्तखत करने वालों में दिलीप एब्रेयू (प्रिंसटन विश्वविद्यालय), प्रणब बर्धन (कैलिफोर्निया बर्कली विश्वविद्यालय), वी भास्कर (ऑस्टिन में टेक्सस विश्वविद्यालय), ज्यां द्रेज (अतिथि प्रोफेसर, रांची विश्वविद्यालय), अभिजीत सेन (योजना आयोग के पूर्व सदस्य) और दिलीप मुखर्जी (बोस्टन विश्वविद्यालय) शामिल हैं।

इन अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि सभी राजनीतिक दलों के सहयोग से मनरेगा 2005 में कानून बना था। इसका लाखों लोगों की आर्थिक सुरक्षा पर काफी गहरा प्रभाव है।

पत्र में कहा गया है, 'पहली बार केंद्र सरकार राज्य सरकारों के मनरेगा खर्च की सीमा तय कर रही है और वह मांग पर काम के सिद्धान्त की अनदेखी कर रही है।'

अर्थशास्त्रियों ने कहा कि इससे यह संदेश जा रहा है कि नई सरकार मनरेगा को लेकर गंभीर नहीं है और वह इस पर अधिक से अधिक अंकुश लगाना चाहती है। 'हम आपसे आग्रह करते हैं कि आप इस रख को पलटें और यह सुनिश्चित करें कि इस कार्यक्रम को हरसंभव सहयोग मिल सके।'

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