लक्षद्वीप में लोग पिछले कुछ दिनों से पटेल के हाल के कुछ कदमों और प्रशासनिक सुधारों का विरोध कर रहे हैं. पूर्व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री को एक खुला खत लिखा है. अपनी इस चिट्ठी में नौकरशाहों ने लक्षद्वीप के हालात पर ध्यान देने की अपील की है. शनिवार को 93 पूर्व सिविल अधिकारियों ने अपने खुल पत्र में लक्षद्वीप के हाल के घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इसे परेशान करने वाला घटनाक्रम करार दिया था. उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश के लिए ऐसा उचित विकास मॉडल सुनिश्चित किया जाए जिसमें स्थानीय लोगों के विचार भी शामिल हों. पूर्व नौकरशाहों ने लक्षद्वीप के विकास मॉडल में शिक्षा, सुरक्षा और अच्छे शासन जैसे चीजों को जोड़े जाने की अपील करते की है.
दरअसल लक्षद्वीप में लोग पिछले कुछ दिनों से पटेल के हाल के फैसले के विरोध में एक जुट हो गए हैं. पटेल ने फैसला लेते हुए बीफ बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया है. जबकि ज्यादातर आबादी इसका सेवन करती है, वहीं इसके अलावा पूरे लक्षद्वीप में शराब बेचने की इजाजत दी गई है, जिसके कारण लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं. वहीं दूसरी तरफ लक्षद्वीप के लोगों के साथ एकजुटता दर्शाते हुए पिछले दिनों केरल विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था, जहां पटेल को वापस बुलाने और द्वीप के लोगों की जिंदगी और आजीविका को बचाने के लिए केंद्र से तत्काल दखल देने का अनुरोध किया था.
केरल के वामपंथी सांसदों ने बुधवार दो जून को तिरुवनंतपुरम में राजभवन के बाहर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया और लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को वापस बुलाने की मांग की थी. राज्यसभा सदस्यों, सीटू महासचिव इलामरम करीम, जॉन ब्रिट्टास, वी शिवदासन, विनय विश्वम एवं एम वी श्रेयाम्स कुमार तथा लोकसभा सदस्यों थॉमस चाझिकडान और ए एम आरिफ ने इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया था. सांसदों ने प्रदर्शन के दौरान लक्षद्वीप बचाओ का नारा लगाया और प्रशासक को हटाने की मांग की थी.
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