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This Article is From Oct 28, 2014

ब्लैकमनी पर सुप्रीम कोर्ट से केंद्र को फटकार, सारे विदेशी बैंक खाताधारियों के मांगे नाम

ब्लैकमनी पर सुप्रीम कोर्ट से केंद्र को फटकार, सारे विदेशी बैंक खाताधारियों के मांगे नाम
फाइल फोटो
नई दिल्ली:

ब्लैकमनी के मुद्दे पर केंद्र को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। इस मामले में कोर्ट ने केंद्र से विदेश बैंक में खाता रखने वाले सारे नामों की जानकारी सील बंद लिफाफे में देने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वाले खाताधारकों के नामों के खुलासे से संबंधित न्यायिक आदेश में संशोधन का अनुरोध करने के लिए सरकार को आड़े हाथ लिया। कोर्ट ने केंद्र से कहा, हम अपने आदेश में एक शब्द भी नहीं बदलेंगे।

चीफ जस्टिस एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा, 'विदेशों में बैंक खाते रखने वाले लोगों को वह बचाने का प्रयास क्यों कर रही है? आप ऐसे व्यक्तियों को सुरक्षा आवरण क्यों प्रदान कर रहे हैं?'

चीफ जस्टिस ने सरकार के इस रवैये पर नाखुशी व्यक्त करते हुए कहा, 'सॉलिसीटर जनरल की मौजूदगी में खुली अदालत में आदेश पारित किया गया था और अब नई सरकार इसमें संशोधन का अनुरोध नहीं कर सकती। हम अपने आदेश को नहीं छुयेंगे और हम इसमें एक शब्द भी नहीं बदलेंगे।'

न्यायालय ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी का यह तर्क अस्वीकार कर दिया कि बैंक खातों की अवैधता के मामले की जांच के बाद वह इन नामों का खुलासा करेगी। कोर्ट ने सरकार से कहा कि उसे इस मामले में कुछ करने की नहीं बल्कि सारी जानकारी उसे मुहैया कराने की जरूरी है और कोर्ट विशेष जांच दल या सीबीआई सहित दूसरी एजेंसियों को जांच का निर्देश देगा।

इस मामले में आधे घंटे की सुनवाई के अंत में अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सरकार को जर्मनी जैसे कई देशों से पांच सौ खाता धारकों के नाम मिले हैं।

चीफ जस्टिस ने केंद्र सरकार से कहा कि उसे खुद किसी भी प्रकार की जांच नहीं करनी है, क्योंकि अगर उसने ऐसा किया तो यह उनके जीवनकाल में कभी भी पूरी नहीं होगी।

जस्टिस दत्तू ने कहा, 'आपको कुछ भी नहीं करना है। सिर्फ खाता धारकों की सूचना हमें प्रेषित कीजिए और हम आगे जांच के लिये आदेश देंगे। हम काला धन वापस लाने का मसला सरकार पर नहीं छोड़ सकते हैं। यह हमारे जीवन काल के दौरान नहीं होगा।'

कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल की इस दलील को दरकिनार कर दिया कि खाता धारकों के नामों के खुलासे से उन लोगों के निजता के अधिकार का हनन होगा जिनके वैध खाते हैं। सरकार का कहना था कि पहली नजर में कर चोरी का मामला बनने के बाद नाम सार्वजनिक किए जा सकते हैं। इस पर न्यायाधीशों ने कहा, 'आपको इन लोगों (विदेशी बैंकों में खाता रखने वाले) के हित का ध्यान नहीं रखना है। विशेष जांच दल इसे देखेगी।'

इसके साथ ही न्यायालय ने सारे नाम कल तक पेश करने का निर्देश सरकार को दिया। न्यायालय ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि एक दो या तीन खाते धारकों के नाम नहीं बल्कि दूसरे मूल्कों द्वारा मुहैया कराई गई पूरी सूची पेश की जाए।

वहीं सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश पर वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि केंद्र सरकार कालेधन के खाताधारकों की सूची बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को सौंप देगी। उन्होंने कहा, 'कालाधन रखने वाले खाताधारकों के जो भी नाम सरकार के पास मौजूद हैं, उन्हें सुप्रीम कोर्ट को सौंप दिया जाएगा।' उन्होंने बताया कि कालेधन के खाताधारकों की सूची विशेष जांच टीम (एसआईटी) को 27 जून को दे दी गई थी और सरकार अब इस सूची को सुप्रीम कोर्ट को भी सौंपेगी।

उधर, काले धन के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल भी सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करेंगे। दरअसल केजरीवाल इस केस में शामिल होना चाहते हैं। केजरीवाल क़ानूनी तरीके से बीजेपी को ब्लैकमनी के मु्द्दे पर घेरना चाहते हैं, इसलिए वह हलफनामा दाखिल करने वाले हैं। (एजेंसी इनरपुट के साथ)

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