21 जुलाई 2015 को पीएम मोदी ने की थी डिजिटल इंडिया कैंपेन की शुरुआत
आज हम इंडियावाले भी दुनिया जेब में लेकर चलते हैं और उसे अपनी उंगलियों पर नचाते हैं. अब शायद बसों में 'जेबकतरों से सावधान' जैसी चेतावनी की भी ज़रूरत नहीं, क्योंकि हम इंडियंस भी ई-वॉलेट लेकर घूमते हैं. अब बिल भुगतान के लिए 'लाइन हाजिर' होने की ज़रूरत नहीं, कॉलेज में दाखिले की प्रक्रिया, यहां तक की शादी-ब्याह का निमंत्रण भेजने का काम भी डिजिटल हो गया है. भूख लगी हो, या एसी कैब की ज़रूरत हो, क्लिकभर में सेवा आपके द्वार पर
हाजिर है. अब तो 'अपनी दुकान' भी है और बैंक भी. तो फिर टेंशन किस बात की?
सब मिलकर प्रेम से बोलो बटन देवाय नम: !!!
"आज की तारीख में स्टेटस ये नहीं कि आप जाग रहे हैं या सो रहे हैं, बल्कि आप ऑनलाइन हैं या ऑफलाइन!" दो साल हो गए जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका में ये बातें कही थीं. आज, इंटरनेट डाटा चार्ज के लोकलुभान ऑफर्स, नोटबंदी के बाद 'लेस-कैश' की अहमियत, पे-टीएम से शगुन ट्रांसफर और ट्विटर पर प्रो-एक्टिव सरकार और सेलिब्रिटीज़ के दौर से गुजरते हुए डिजिटल इंडिया के सपने पर पहले से भी ज्यादा यकीन होने लगा है...
डिजिटल इंडिया कैंपेन के सौजन्य से अब किसी के लिए भी ऐप और वेबसाइट्स की मदद से शॉपिंग, खाना, इंशोरेंस कराना, बैंक का काम करना आसान हो गया है. मोदी सरकार द्वारा उठाया गया यह एक प्रगतिशील कदम है, जिसका मकसद सभी सरकारी कामों को ऑनलाइन कराना है ताकि देशभर के करोड़ों लोगों तक सरकार की नीतियों का लाभ पहुंच सके. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 जुलाई 2015 को इस कैंपेन को लॉन्च किया था. इस इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी आधारित पहल के जरिये मोदी सरकार देश के नागरिकों को इंटरनेट की दुनिया से और इसके फायदों से रूबरू करा सशक्त करना चाहती है.
...लेकिन ये राह नहीं आसान
सरकार की सोच पर किसी को शक नहीं. लेकिन इसकी चुनौतियों को नज़रअंदाज़ करने की हैसियत भी नहीं है. डिजिटल इंडिया की राह में कई चुनौतियां हैं. अधिकारियों की ओर से कई पहल, कार्यक्रम, अभियान शुरू किये गए ताकि देश के लाखों गांव मोदी सरकार की एम-गवर्नेंस से जुड़ सकें. लेकिन लोगों के बीच डिजिटल साक्षरता फैलाने, दूर-दराज के गावों तक बिजली पहुंचाने, कंप्यूटर की उपलब्धता और दूसरों पर निर्भर रहने की मानसिकता को दूर किये बिना इस सपने को साकार करना मुमकिन नहीं.
लोगों को प्रधानमंत्री की बातों पर भरोसा तो है, लेकिन इस बात का डर भी कि डिजिटल इंडिया में उनकी खून पसीने की कमाई, बैंक की सेविंग्स, पासवर्ड्स, डाटा, और निजता कितनी सुरक्षित है? इसके लिए कानूनी तौर पर उन्हें कैसे सशक्त किया जाएगा और कौन उनकी ऐसी परेशानियों का समाधान करेगा. अगर कहीं कोई 'चूक' हो गई, तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? साइबर क्राइम और डिजिटल सिक्योरिटी सरीखे मुद्दों पर जब तक सरकार लोगों को आश्वस्त नहीं करेगी, लोगों की दिलचस्पी और भरोसा इस पर नहीं होगा. बिना इन दो चीज़ों के डिजिटल इंडिया का सपना साकार होना मुमकिन नहीं.
कुल मिलाकर डिजिटल इंडिया के कॉन्सेप्ट के ज़रिये पीएम मोदी ने ऐतिहासिक सुधार लाने की कोशिश की है जिसका लाभ अगली पीढ़ी को बेशक मिलेगा और भारत दुनिया की अन्य अग्रिम अर्थव्यवस्थाओं की कदम से कदम मिलाकर चलेगा.
हाजिर है. अब तो 'अपनी दुकान' भी है और बैंक भी. तो फिर टेंशन किस बात की?
सब मिलकर प्रेम से बोलो बटन देवाय नम: !!!
"आज की तारीख में स्टेटस ये नहीं कि आप जाग रहे हैं या सो रहे हैं, बल्कि आप ऑनलाइन हैं या ऑफलाइन!" दो साल हो गए जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका में ये बातें कही थीं. आज, इंटरनेट डाटा चार्ज के लोकलुभान ऑफर्स, नोटबंदी के बाद 'लेस-कैश' की अहमियत, पे-टीएम से शगुन ट्रांसफर और ट्विटर पर प्रो-एक्टिव सरकार और सेलिब्रिटीज़ के दौर से गुजरते हुए डिजिटल इंडिया के सपने पर पहले से भी ज्यादा यकीन होने लगा है...
...लेकिन ये राह नहीं आसान
सरकार की सोच पर किसी को शक नहीं. लेकिन इसकी चुनौतियों को नज़रअंदाज़ करने की हैसियत भी नहीं है. डिजिटल इंडिया की राह में कई चुनौतियां हैं. अधिकारियों की ओर से कई पहल, कार्यक्रम, अभियान शुरू किये गए ताकि देश के लाखों गांव मोदी सरकार की एम-गवर्नेंस से जुड़ सकें. लेकिन लोगों के बीच डिजिटल साक्षरता फैलाने, दूर-दराज के गावों तक बिजली पहुंचाने, कंप्यूटर की उपलब्धता और दूसरों पर निर्भर रहने की मानसिकता को दूर किये बिना इस सपने को साकार करना मुमकिन नहीं.
लोगों को प्रधानमंत्री की बातों पर भरोसा तो है, लेकिन इस बात का डर भी कि डिजिटल इंडिया में उनकी खून पसीने की कमाई, बैंक की सेविंग्स, पासवर्ड्स, डाटा, और निजता कितनी सुरक्षित है? इसके लिए कानूनी तौर पर उन्हें कैसे सशक्त किया जाएगा और कौन उनकी ऐसी परेशानियों का समाधान करेगा. अगर कहीं कोई 'चूक' हो गई, तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? साइबर क्राइम और डिजिटल सिक्योरिटी सरीखे मुद्दों पर जब तक सरकार लोगों को आश्वस्त नहीं करेगी, लोगों की दिलचस्पी और भरोसा इस पर नहीं होगा. बिना इन दो चीज़ों के डिजिटल इंडिया का सपना साकार होना मुमकिन नहीं.
कुल मिलाकर डिजिटल इंडिया के कॉन्सेप्ट के ज़रिये पीएम मोदी ने ऐतिहासिक सुधार लाने की कोशिश की है जिसका लाभ अगली पीढ़ी को बेशक मिलेगा और भारत दुनिया की अन्य अग्रिम अर्थव्यवस्थाओं की कदम से कदम मिलाकर चलेगा.
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