उबर टैक्सी पर पाबंदी को लेकर सरकार के दो मंत्रालयों के मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। एक ओर जहां गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को चिट्ठी लिखकर उबर जैसी टैक्सी सेवाओं पर बैन लगाने को कहा है, वहीं केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इस पाबंदी का विरोध किया है। गडकरी ने आज कहा कि अगर रेल या बस में रेप हो तो क्या रेल और बस सेवा को बंद कर देंगे।
उबर टैक्सी में रेप की घटना के बाद कंपनी पर प्रतिबंध लगने के 24 घंटे के भीतर परिवहन मंत्री गडकरी ने ये बयान देकर एक नई बहस छेड़ दी। सवाल उठे कि क्या सरकार के अंदर इस मामले पर पुनर्विचार चल रहा है। लेकिन कुछ ही घंटे में ये बात साफ हो गई कि सरकार गडकरी के साथ नहीं है, जब गृह मंत्री ने राज्यसभा में एलान कर दिया कि सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को सलाह दी गई है कि वह वेब−बेस्ड टैक्सी सेवा के संचालन पर रोक लगा दें।
राजनाथ ने ये भी साफ कर दिया कि दिल्ली प्रशासन के परिवहन विभाग ने एनसीआर क्षेत्र में उबर के ऑपरेशन्स पर प्रतिबंध लगी दी है।
दरअसल गडकरी के बयान ने उबर टैक्सी में महिला से हुए बलात्कार की घटना के राजनीतिक असर से निपटने की जद्दोजहद में जुटी सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। विपक्ष को सरकार पर हमला करने का एक नया मौका दे दिया। विपक्ष का आरोप है कि गडकरी के बयान से सरकार में इस मसले पर अंतर्विरोध सामने आ गया है। राज्य सभा में बहस के दौरान कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला ने पूछा कि जब सड़क परिवहन मंत्री ही प्रतिबंध के खिलाफ हैं तो फिर उबर पर रोक क्यों लगाई गई।
इतना ही नहीं गडकरी बयान देकर अपनों के बीच ही अकेले पड़ गए। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री नजमा हेपतुल्ला ने ज़ोर देकर कहा कि कंपनी और ड्राइवर दोनों पर कार्रवाई होनी चाहिए, जबकि पूर्व गृह सचिव और बीजेपी सांसद आरके सिंह ने कहा कि उबर कंपनी पर आपराधिक मामल दर्ज कर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, क्योंकि उसने बिना जांच पड़ताल के ड्राइवर को नोकरी पर रख लिया।
यह भी सच है कि सिर्फ प्रतिबंध ही समस्या का आखिरी इलाज नहीं है। ये रास्ता तलाशना भी सरकार की ही जिम्मेदारी है कि लोगों की और खासकर महिलाओं की बढ़ती जरूरतों के मुताबिक उन्हें सुरक्षित सफर की सुविधा कैसे मुहैया कराई जाए।
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