यह ख़बर 02 जनवरी, 2011 को प्रकाशित हुई थी

कौन उल्लू का पट्ठा दोबारा चुनाव लड़ेगा : धर्मेन्द्र

खास बातें

  • भाजपा के लोकसभा सांसद के तौर पर सियासी किरदार निभा चुके मशहूर फिल्म अभिनेता धर्मेन्द्र ने सियासत से तौबा कर ली है।
इंदौर:

भाजपा के लोकसभा सांसद के तौर पर सियासी किरदार निभा चुके मशहूर फिल्म अभिनेता धर्मेन्द्र ने सियासत से तौबा कर ली है। सियासत की मौजूदा चाल, चरित्र और चेहरे से नाराज इस अभिनेता ने भविष्य में कोई चुनाव लड़ने से इनकार करते हुए कहा है कि कौन उल्लू का पट्ठा चुनावी राजनीति में लौटेगा। अपनी होम प्रोडक्शन फिल्म यमला पगला दीवाना के प्रचार के लिए आए धर्मेन्द्र ने कहा, मैं एक भावुक इंसान हूं। मुझे नहीं मालूम कि किस पार्टी की कौन सी विचारधारा है। आप कोई भी पार्टी ले लीजिए कि यहां भारत को मां नहीं समझा जाता। 75 वर्षीय फिल्म अभिनेता ने भावुक लहजे में कहा कि जिस दिन सियासी दलों ने भारत को अपनी मां समझकर इसकी सेवा शुरू कर दी, देश स्वर्ग बन जाएगा। लेकिन कोई इसे मां नहीं समझता और हर जगह देश को लूटा जा रहा है। धर्मेन्द्र ने राजस्थान की बीकानेर सीट से वर्ष 2004 में आम चुनाव जीता था और वह 14वीं लोकसभा के लिए चुने गए थे। चुनावी राजनीति में आने के फैसले के बारे में उन्होंने कहा, सियासत के मौजूदा हालात के मद्देनजर मैं चुनाव नहीं लड़ना चाहता था लेकिन एक शख्स ने मुझे यह कहकर लाजवाब कर दिया कि अगर अच्छे लोग राजनीति में नहीं आएंगे तो इस देश का क्या होगा। बॉलीवुड के ही-मैन के नाम से मशहूर रहे फिल्म अभिनेता धमेंद्र ने कहा कि उन्होंने बीकानेर लोकसभा सीट से चुनाव तो जीत लिया लेकिन बाद में यह सोचकर अपना सिर पीट लिया कि उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए 'हां' क्यों भर दी। उनके मुताबिक कि उन्हें इस बात का दुख भी हुआ कि उन्होंने चुनाव में अपने निकट प्रतिद्वन्द्वी उम्मीदवार को क्यों हराया। क्या भविष्य में धर्मेन्द्र के फिर चुनाव लड़ने की कोई संभावना है, इस सवाल का उन्होंने ना में जवाब देते हुए कहा, जब मैंने चुनाव लड़ने के लिए हामी भरने के बाद अपना सिर शीशे से ठोक लिया था तो कौन 'उल्लू का पट्ठा' चुनावी राजनीति में वापस जाएगा। बहरहाल, उनका दावा है कि बीकानेर से लोकसभा सांसद रहते हुए उन्होंने भारत मां के एक अंग की जी-जान से सेवा की और अपना कर्तव्य बराबर निभाया। पूर्व लोकसभा सांसद ने कहा, इस बात का श्रेय लेने की मेरी कोई चाह नहीं है। लेकिन मीडिया का कोई भी नुमाइंदा बीकानेर में जाकर देख सकता है कि मैंने वे काम कराए हैं, जो पिछले 50 साल से नहीं हो रहे थे।


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