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नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री द्वारा प्रतिबद्धता जाहिर किए जाने और वित्त मंत्री द्वारा बजट में एक हजार करोड़ रुपये प्रदान किए जाने के बावजूद ‘एक पद, एक पेंशन’ योजना को क्रियान्वित नहीं किए जाने पर संसद की एक स्थायी समिति ने गहरी निराशा जतायी।
रक्षा संबंधी स्थायी समिति ने रक्षा मंत्रालय की वर्ष 2015-16 की अनुदानों की मांगों पर लोकसभा में पेश अपनी छठी रिपोर्ट में कहा है, ‘समिति को खेद है कि प्रधानमंत्री द्वारा प्रतिबद्धता जाहिर करने और वित्त मंत्री द्वारा बजट अनुमान 2014-15 के बजट में एक हजार करोड़ रुपये प्रदान किए जाने के बावजूद एक पद एक पेंशन योजना को क्रियान्वित नहीं किया जा सका है।’
समिति ने यह भी पाया है कि इस मुद्दे को बहुत लंबी अवधि तक लंबित रखा गया और समिति ने यह समझ पाने में अनभिज्ञता जाहिर की है कि क्या कारण हैं जो सरकार को आवश्यक निर्णय लेने से और एक समाधान पर पहुंचने से रोक रहे हैं।
समिति ने राय जाहिर की है कि यह बेहद महत्वपूर्ण है कि इस मामले में आवश्यक कार्यविधि तय की जाए और एक पद एक पेंशन के संबंध में कड़ाई से पालन की जाने वाली समय सीमा सहित एक उचित समाधान जल्द से जल्द ढूंढा जाए।
इस मामले की जांच करते हुए समिति ने पाया कि बजट अनुमान 2014-15 में रक्षा बलों के लिए एक पद एक पेंशन के लिए सिद्धांतत: सरकार की स्वीकृति की घोषणा के परिणामस्वरूप इसके क्रियान्वयन के लिए एक हजार करोड़ रुपये के आवंटन सहित रक्षा पेंशनों के लिए 51 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया गया। संशोधित अनुमान 2014-15 में रक्षा पेंशनों के लिए आवंटन को घटाकर 50 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया।
रक्षा राज्य मंत्री ने तीनों सेवाओं, सीजीडीए, रक्षा (वित्त) और भूतपूर्व सैनिक कल्याण निदेशालय के प्रतिनिधियों के साथ मसले पर चर्चा करने के लिए नौ जनवरी 2015 को एक बैठक भी बुलायी। इसके बाद 16 फरवरी 2015 को एक और बैठक हुई लेकिन एक पद, एक पेंशन के कार्यान्वयन की कार्यविधि को अभी अंतिम रूप दिया जाना बाकी है।
रक्षा संबंधी स्थायी समिति ने रक्षा मंत्रालय की वर्ष 2015-16 की अनुदानों की मांगों पर लोकसभा में पेश अपनी छठी रिपोर्ट में कहा है, ‘समिति को खेद है कि प्रधानमंत्री द्वारा प्रतिबद्धता जाहिर करने और वित्त मंत्री द्वारा बजट अनुमान 2014-15 के बजट में एक हजार करोड़ रुपये प्रदान किए जाने के बावजूद एक पद एक पेंशन योजना को क्रियान्वित नहीं किया जा सका है।’
समिति ने यह भी पाया है कि इस मुद्दे को बहुत लंबी अवधि तक लंबित रखा गया और समिति ने यह समझ पाने में अनभिज्ञता जाहिर की है कि क्या कारण हैं जो सरकार को आवश्यक निर्णय लेने से और एक समाधान पर पहुंचने से रोक रहे हैं।
समिति ने राय जाहिर की है कि यह बेहद महत्वपूर्ण है कि इस मामले में आवश्यक कार्यविधि तय की जाए और एक पद एक पेंशन के संबंध में कड़ाई से पालन की जाने वाली समय सीमा सहित एक उचित समाधान जल्द से जल्द ढूंढा जाए।
इस मामले की जांच करते हुए समिति ने पाया कि बजट अनुमान 2014-15 में रक्षा बलों के लिए एक पद एक पेंशन के लिए सिद्धांतत: सरकार की स्वीकृति की घोषणा के परिणामस्वरूप इसके क्रियान्वयन के लिए एक हजार करोड़ रुपये के आवंटन सहित रक्षा पेंशनों के लिए 51 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया गया। संशोधित अनुमान 2014-15 में रक्षा पेंशनों के लिए आवंटन को घटाकर 50 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया।
रक्षा राज्य मंत्री ने तीनों सेवाओं, सीजीडीए, रक्षा (वित्त) और भूतपूर्व सैनिक कल्याण निदेशालय के प्रतिनिधियों के साथ मसले पर चर्चा करने के लिए नौ जनवरी 2015 को एक बैठक भी बुलायी। इसके बाद 16 फरवरी 2015 को एक और बैठक हुई लेकिन एक पद, एक पेंशन के कार्यान्वयन की कार्यविधि को अभी अंतिम रूप दिया जाना बाकी है।
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