सख्त कानून लागू होने के बावजूद लगभग 50 पूर्व सांसदों ने अभी भी लुटियन दिल्ली स्थित सरकारी आवास खाली नहीं किए हैं. पूर्व सांसदों से सरकारी बंगले खाली कराने के लिए आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय की ओर से शुरू की गयी कार्रवाई के दौरान पता चला है कि इन बंगलों में कहीं नौकर तो कहीं नौकरशाह जमे हैं. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार पिछले सप्ताह तक सरकारी बंगला खाली नहीं करने वाले 50 पूर्व सांसदों को मंत्रालय के संपदा विभाग ने ‘कारण बताओ नोटिस' जारी कर तीन दिन में जवाब मांगा था. इनमें से महज चार पूर्व सांसदों ने इस सप्ताह बंगले खाली किए हैं.
सरकारी बंगला खाली न करने वाले पूर्व सांसदों की मुश्किल बढ़ाएगा नया कानून
उल्लेखनीय है कि मंत्रालय ने सख्त प्रावधानों वाले सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जाधारियों की बेदखली) अधिनियम के तहत 230 पूर्व सांसदों के सरकारी बंगले खाली कराने की कार्रवाई शुरू की थी. बंगले खाली कराने की प्रक्रिया के दौरान कई रोचक मामले भी सामने आए हैं. इनमें पूर्व सांसद दिवंगत मोहम्मद असरारुल हक को आवंटित साउथ एवेन्यू स्थित 16 और 18 नंबर बंगले को खाली कराने में विभाग को खासी मशक्कत करनी पड़ी. हक का पिछले साल निधन हो गया था. उनके परिजनों को नियमानुसार छह महीने के भीतर (छह जून से पहले) आवास खाली करना था.
इस दौरान 17वीं लोकसभा के गठन के बाद यह बंगला, जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के मुद्दे पर संसद में जोरदार भाषण देकर चर्चा में आए लद्दाख के सांसद जामयांग टी नामग्याल को आवंटित किया गया. नामग्याल जब बंगले में रहने के लिए पहुंचे तो दोनों बंगलों और सर्वेंट क्वार्टर में ताला पड़ा मिला. पता चला कि इनमें पूर्व सांसद का नौकर रह रहा है. नौकर ने आवास की चाबी नामग्याल को नहीं सौंपी. यह शिकायत मिलने पर विभाग को आवास के दरवाजे पर 20 सितंबर को दिवंगत सांसद के परिजनों के नाम नया नोटिस चस्पा कर सख्ती बरतनी पड़ी. इसके बाद अब आवास को नौकर द्वारा इस सप्ताह खाली कर दिए जाने की सूचना विभाग को मिली है.
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इसी प्रकार, केरल से कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सदस्य दिवंगत एम आई शाहनवाज के साउथ एवेन्यू स्थित बंगले का मामला सामने आया है. इसमें एक नौकरशाह रह रहे हैं.शाहनवाज का पिछले साल नवंबर में निधन हो गया था. बतौर सांसद, उन्हें आवंटित 77 नंबर बंगला अब 17वीं लोकसभा के लिए भाजपा के सिल्चर से निर्वाचित सदस्य राजदीप रॉय को आवंटित किया गया है. रॉय की ओर से संपदा विभाग को पिछले सप्ताह भेजी गई शिकायत में बताया गया कि उक्त आवास में एक प्रशासनिक अधिकारी रह रहे हैं. विभाग ने इस पर संज्ञान लेते हुए दिवंगत पूर्व सांसद के परिजनों को नोटिस भेजकर जवाब तलब किया है.
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इसी तरह, एक अन्य मामले में राज्यसभा के एक सदस्य के अनुरोध पर साउथ एवेन्यू स्थित एक बंगले में बतौर अतिथि रह रहे एक पूर्व सांसद से भी बंगला खाली कराने में संपदा विभाग को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है. बतौर अतिथि रह रहे पूर्व सांसद, अधिक उम्र और खराब सेहत का हवाला देकर विभाग से घर खाली नहीं कराने का अनुरोध कर रहे हैं. पिछले महीने उनका अनुरोध नहीं मानने पर पूर्व सांसद अदालत तक की शरण में चले गए. सूत्रों के अनुसार अदालत से उन्हें कोई राहत नहीं मिलने के बाद विभाग ने अब यह बंगला जबरन खाली कराने की तैयारी कर ली है.
उल्लेखनीय है कि गत जून में लोकसभा चुनाव के बाद 230 पूर्व सांसदों को छह महीने के भीतर सरकारी आवास खाली करना था. इस बीच, सख्त प्रावधानों वाला संशोधित कानून अगस्त में संसद से पारित होने और राष्ट्रपति की इसे मंजूरी मिलने के बाद, मंत्रालय ने 12 सितंबर को अधिसूचना जारी कर इसे लागू कर दिया. सरकारी बंगला नहीं छोड़ रहे पूर्व सांसदों को संशोधित कानून के तहत सितंबर के अंतिम सप्ताह में भेजे गए नोटिस में इन लोगों से अब तक आवास नहीं छोड़ने का कारण बताने को कहा गया है.
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विभाग ने निर्धारित समयसीमा में जवाब नहीं देने या संतोषजनक कारण नहीं बता पाने वाले पूर्व सांसदों का आवास, निर्धारित कानूनी प्रक्रिया के तहत खाली कराने की तैयारी कर ली है. सूत्रों के अनुसार जिन पूर्व सांसदों को नोटिस भेजा गया है, उनमें कांग्रेस के दीपेन्द्र सिंह हुड्डा, भाजपा के ओम प्रकाश यादव, कांग्रेस के कमलनाथ, निर्दलीय सांसद रहे पप्पू यादव और कांग्रेस की रंजीता रंजन सहित अन्य दलों के नेता शामिल हैं. हुड्डा को पंत मार्ग स्थित नौ नंबर बंगला, कमलनाथ के नाम तुगलक रोड स्थित एक नंबर बंगला और ओम प्रकाश यादव को पंत मार्ग पर सात नंबर बंगला आवंटित था. प्राप्त जानकारी के अनुसार शुक्रवार को विभाग को कमलनाथ का बंगला ख़ाली किये जाने की सूचना दी गई.
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