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This Article is From Sep 29, 2015

कमियों के बावजूद स्वदेशी तेजस को वायुसेना में शामिल करने का निर्णय

कमियों के बावजूद स्वदेशी तेजस को वायुसेना में शामिल करने का निर्णय
नई दिल्ली: लड़ाकू जहाजों की कमियों को दूर करने के लिए भारत सरकार ने वायुसेना में सात नए स्क्वार्डन बनाने का निर्णय लिया है जिसमें स्वदेश निर्मित तेजस मार्क-1 ए लड़ाकू जहाज होंगे। बताया जा रहा है कि तमाम परीक्षणों में तेजस में कोई न कोई दिक्कत रही है। जहाज में थ्रस्ट की समस्या रही है जिसकी वजह से यह हथियार ले जाने में दिक्कतों का सामना करता है।

वायुसेना में लड़ाकू जहाजों की कमी
एनडीटीवी को रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया है कि भारतीय वायुसेना में हमेशा ही लड़ाकू जहाजों की कम से कम संख्या बनाए रखना होता है। जब तक नए जहाजों की आपूर्ति नहीं होती, तब तक तेजस से कमी को पूरा किया जाएगा। वर्तमान में उपलब्ध सभी जहाजों में तेजस सबसे बेहतर साबित हुआ है।

सात नए स्क्वार्डन बनाए जाएंगे
वायुसेना के सूत्रों का कहना है कि यह सुरक्षा बल सरकार के इस निर्णय को स्वीकार कर रहा है। इन सभी स्क्वार्डन नमें 16-18 तेजस लड़ाकू विमान होंगे।

बता दें कि भारतीय वायुसेना में कुछ समय के अंतराल में लड़ाकू जहाज के चार स्क्वार्डन खत्म हो जाएंगे। इनमें तीन मिग 21 के और एक मिग 27 के स्क्वार्डन होंगे। ये सभी रूस में निर्मित जहाज हैं और काफी पुराने हो चुके हैं। इन्हें 2022 तक वायुसेना से बाहर कर दिया जाएगा।

फ्रांस से खरीदे जाएंगे जहाज
भारत ने फिलहाल 32 फाइटर जहाज फ्रांस से खरीदने का निर्णय लिया है और अपनी रक्षा जरूरतों के लिए उसे 120 हल्के लड़ाकू जहाजों की दरकार है।

उल्लेखनीय है कि तेजस मार्क-1ए का निर्माण भारत में कभी भी एचएएल शुरू कर सकती है। भारतीय वायुसेना ने 40 तेजस विमान खरीदने का निर्णय लिया है। फिलहाल डीआरडीओ और एचएएल ने कुछ बदलाव कर तेजस की क्षमता बढ़ाने का निर्णय लिया है।

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