मायानगरी की चकाचौंध में गुम नहीं हुआ नवाजुद्दीन सिद्दीकी का यह अनोखा प्रेम

मायानगरी की चकाचौंध में गुम नहीं हुआ नवाजुद्दीन सिद्दीकी का यह अनोखा प्रेम

नवाजुद्दीन सिद्दीकी (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

अमूमन देखा गया है कि जिसने में मायानगरी मुंबई में अपनी पहचान बनाई और शिखर पर पहुंचा उसने मुड़कर अपने घर का रुख कम ही किया। किया भी तो उस काम से दूर हो गया जो वह पहले किया करता था। लेकिन बात आज बॉलीवुड के उस सितारे की है जिसने सिल्वर स्क्रीन पर धमाका करने के लिए करीब एक दशकों को लंबा स्ट्रगल किया। और फिर छाया तो ऐसा कि छोटे से लेकर बड़े सितारों ने उसका लोहा माना। अपनी कामयाबी के चलते हॉलीवुड में भी इस कलाकार की पूछ बढ़ी, कांस फिल्म समारोह से न्योता आया।

बात नवाजुद्दीन सिद्दीकी की कर रहे हैं। आज नवाजुद्दीन का नाम कौन नहीं जानता। नाम और शोहरत और पैसा सबकुछ है नवाजुद्दीन सिद्दीकी के पास। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के रहने वाले नवाजुद्दीन सिद्दीकी किसान परिवार से हैं। परिवार में सात भाई और दो बहनों के साथ पले बढ़े नवाज को बचपन से ही फिल्मी दुनिया से लगाव था। और इसलिए वह एक एक्टर बनना चाहते थे। हरिद्वार की गुरुकुल कांगड़ी से साइंस में ग्रेजुएट होने के बाद नवाज से कुछ नौकरियां भी कीं, लेकिन मन नहीं लगा क्योंकि वहां तो एक्टिंग करने के सपना बसा था। फिर नवाज ने थिएटर ग्रुप ज्वाइन किया और बाद में एनएसडी पहुंचे और फिर मुंबई। आज नवाजुद्दीन एक स्थापित चेहरा हैं।
 


नवाजुद्दीन की कई फिल्में कांस में गई और नवाज भी गए। एक बार उन्होंने एक किसान को खेत पर नई तकनीक के साथ किसानी करते देखा। नवाज कुछ देर रुके और किसान से तकनीक की विशेषता के बारे में बात की। नवाज को अपने गांव की समस्या याद आई और इसे के साथ नवाज के भीतर का छिपा किसान बाहर निकाल और वह उस उपकरण को लेकर अपने गांव पहुंचे।

नवाजुद्दीन ने अपने फेसबुक पर एक वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो में कुछ यही कहानी बताई गई है। नवाज ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है इस सेंट्रल पीवोट इर्रिगेशन तकनीक से फसलों की अच्छी उपज, पानी और बिजली की कम खपत होती है।  उन्होंने कहा कि इस मुहिम में बैटर इंडिया (betterIndia) ने सराहनीय सहयोग दिया है।
 


गौर करने की बात यह है कि पिछले 19 घंटों में इस वीडियो को करीब 8.50 लाख लोग देख चुके हैं और 17 हजार लोग लाइक कर चुके हैं।

अपने फेसबुक पोस्ट पर नवाज ने यह भी लिखा है... ''मेरा गाँव बुढाना पानी की कमी के चलते डार्क ज़ोन घोषित किया जा चुका है। मैंने यहां एक अरसे तक खुद खेती की है।फ्रांस में जब मुझे खेती की एक ऐसी तकनीक के बारे में पता चला जो कम बिजली पानी खर्च किये, बारिश जैसा फायदा दे सकती है तो मैं उसे अपने गाँव ले आया।तकनीक और हमारी इच्छा ये दो चीज़े ही पानी को बचा सकती हैं।''


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