राज्यों और बड़ी कंपनियों के चीन से हुए करार रद्द करने की मांग पर आगे सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है,  जिसमें अडानी समूह (Adani Group) और गुजरात(Gujarat) व महाराष्ट्र (Maharashtra)सरकार के चीनी कंपनियों के साथ करार रद्द करने की मांग की गई है.

राज्यों और बड़ी कंपनियों के चीन से हुए करार रद्द करने की मांग पर आगे सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से अर्जी की एक कॉपी सरकार को देने को कहा

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) बड़ी कंपनियों के चीन से हुए करार रद्द करने की मांग के मामले में आगे सुनवाई करेगा. याचिकाकर्ता ने चीन से जुड़ी व्यापार नीति में स्पष्टता की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि एक ओर चीनी ऐप (China App) पर प्रतिबंध लगाया गया है. वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र-गुजरात सरकार और कई निजी कंपनियों ने चीनी कंपनियों के साथ बड़े समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं. लिहाजा इन्हें भी रद्द किया जाना चाहिए.

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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कहा कि मीडिया रिपोर्ट के आधार पर सुनवाई नहीं हो सकती. सरकार को याचिका की कॉपी दीजिए और फिर हम देखेंगे.सुप्रीम कोर्टउस याचिका पर सुनवाई कर रहा है,  जिसमें अडानी समूह (Adani Group) और गुजरात(Gujarat) व महाराष्ट्र (Maharashtra)सरकार के चीनी कंपनियों के साथ करार रद्द करने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि सीमा पर मौजूदा तनाव को देखते हुए भारत सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह चीन के साथ अपनी व्यापार नीति सावर्जनिक करे.

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यह याचिका वकील सुप्रिया पंडिता ने दाखिल की है. कोर्ट में दायर याचिका में केंद्र सरकार के अलावा गुजरात- महाराष्ट्र सरकार और अडानी समूह की कंपनियों को प्रतिवादी बनाया गया है. याचिका में कहा गया है कि चीनी सामान के बहिष्कार के बीच ही गुजरात और महाराष्ट्र सरकार ने बड़ी चीनी कंपनियों के साथ करार (एमओयू) किया है.

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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी ग्रुप ने चीन की सबसे बड़ी निजी कंपनी के साथ भारतीय पोर्ट में 30 करोड़ डॉलर के निवेश का करार किया है. यह करार अडानी समूह और ईस्ट होप ग्रुप के बीच हुआ है. इसमें गुजरात राज्य में मुन्द्रा एसईजेड में निर्माण इकाई लगाने का प्रस्ताव है. याचिकाकर्ता ने कहा है कि कुछ चुनिंदा कारोबारी घरानों और सरकारों को चीनी कंपनियों के साथ करार करने की इजाजत देने से गलत संदेश जाएगा. लिहाजा चीन के साथ एक समान व्यापार नीति लागू की जाए.