दिल्ली विश्वविद्यालय में चारों सीटें बीजेपी की स्टूडेंट विंग एबीवीपी ने बड़े अंतर से जीता। एनएसयूआई को दूसरे नंबर पर रहकर संतोष करना पड़ा। वहीं जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में चारों सीटों पर आईसा ने जीत हासिल की और यहां दूसरे नंबर के लिए एबीवीपी और प्रोग्रेसिव लेफ्ट फ्रंट के बीच मुकाबला रहा।
देश में सबसे प्रतिष्ठित माने जाने वाले इन दोनों विश्वविद्यालयों में छात्र संगठनों की सक्रियता, बिना किसी बवाल के चुनाव का होना, भविष्य के अच्छे राजनीतिक संस्कार की ओर इशारा भी करती है।
दिल्ली के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की छात्र राजनीति के लिए ये साल बड़े बदलाव का गवाह भी बना। अपनी अंग्रेजियत और इलीटीसिज्म के लिए मशहूर सेंट स्टीफेंस कॉलेज में हिंदीभाषी रोहित कुमार यादव का प्रेसीडेंट बनना इसी के तरफ इशारा करता है।
18 साल बाद जीती एबीवीपी
भारी सुरक्षा बंदोबस्त के बीच शनिवार को दिल्ली पुलिस लाइन में दिल्ली विश्वविद्यालय के चुनाव की काउंटिंग हो रही थी। इक्का-दुक्का छात्र नेताओं और मीडियाकर्मियों के सुगबुगाहट के अलावा शांतिपूर्ण तरीके से तीन घंटे तक मतों की गणना हुई।
एक लाख से ज्यादा छात्रों वाले दिल्ली विश्वविद्यालय के 28 उम्मीदवारों में चार का चुनाव करने के लिए करीब 45 हजार छात्रों ने अपने मतों का प्रयोग किया। जब रिजल्ट आए, तो पता चला कि 18 साल बाद एबीवीपी के चारों उम्मीदवारों ने जीत हासिल की।
अध्यक्ष पद पर मोहित नागर को 20,718 वोट मिले, जबकि एनएसयूआई के गौरव तुसीर को 19,804 वोट मिले। उपाध्यक्ष पद पर परवेश मलिक, सचिव पद पर कनिका शेखावत और संयुक्त सचिव पद पर आशुतोष माथुर ने सर्वाधिक मतों से जीत हासिल की। कभी एनएसयूआई का गढ़ रहा दिल्ली विश्वविद्यालय अब उसके हाथों से निकलता दिखाई दे रहा है। इस बार आईसा ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। लेकिन उसे अभी लंबा सफर तय करना है।
जेएनयू में आईसा का बजा डंका
एक दिन बाद यानी रविवार को जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) छात्र संघ चुनाव में आईसा ने सबका सूपड़ा साफ कर दिया। चारों सीटों पर इनके उम्मीदवारों ने जीत हासिल की। इस चुनाव में एबीवीपी और लेफ्ट प्रोग्रेसिव फ्रंट ने भी अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई है। जेएनयू छात्र संघ के प्रेसीडेंट पद पर आईसा के आशुतोष जीते, जिन्हें 1386 वोट मिले, जबकि वाइस प्रेसीडेंट पद पर अनंत, जनरल सेक्रेटरी पद पर चिंटू और ज्वाइंट सेक्टरी पद पर जेएस शफाकत ने जीत हासिल की।
इस चुनाव में वाइस प्रेसीडेंट और जनरल सेक्रेटरी पद पर एबीवीपी दूसरे नंबर पर रही, जबकि दो अन्य पोस्टों पर लेफ्ट प्रोग्रेसिव फ्रंट दूसरे नंबर पर रहा। हालांकि इस बार आईसा के पूर्व प्रेसीडेंट अकबर चौधरी पर लगे यौन उत्पीड़न के आऱोपों को दूसरे छात्र संगठनों ने मुद्दा बनाया था। लेकिन उसके बावजूद आईसा की धमक जेएनयू में कम नहीं हुई, बल्कि और मजबूती के साथ उभरा।
हालांकि दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में इस बार छपे पम्फलेट का प्रयोग खूब हुआ। कुछ लोगों ने छात्र नेताओं पर आपराधिक मुकदमे दर्ज होने की बात भी उठाई। लेकिन इनको अगर छोड़ दें, तो छात्र संघ चुनाव का अच्छे तरीके से होना और अच्छे छात्र नेताओं का चुना जाना, ऐसी बातें है जो राजनीतिक परीक्षण में सफलता की गारंटी देती नजर आती है।
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