दिल्ली पुलिस की एसआईटी ने दिल्ली दंगों के दौरान हिंसा में मारे गए हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल के मामले में कोर्ट में चार्जशीट दायर कर दी है. यह चार्जशीट 1100 पेज की है, जिसमें 60 से ज्यादा गवाह हैं. 24 फरवरी से उत्तर पूर्वी दिल्ली में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने 750 केस दर्ज किए थे. हिंसा में हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल समेत कुल 53 लोगों की जान गई थी.
चार्जशीट के मुताबिक, 24 फरवरी को चांदबाग इलाके में वज़ीराबाद रोड पर सीएए के विरोध में धरना प्रदर्शन चल रहा था, जिसकी शुरुआत जनवरी में हुई थी, उस दिन अचानक हज़ारों लोगों की भीड़ अचानक बीच सड़क पर आ गई जो कि हिंसा पर उतारू थी. पुलिस के बातचीत और समझाने के बाद भी लोग नहीं माने और भीड़ में खड़ी महिलाओं ने अचानक पुलिस पर हमला कर दिया. रतनलाल को गोली मार दी गई. हमले में डीसीपी शाहदरा, एसीपी गोकुलपुरी अनुज कुमार समेत कई पुलिसवाले घायल हो गए.
हिंसक भीड़ ने पास ही के मोहन नर्सिंग होम में भी हमला कर दिया जहां पुलिसवाले भर्ती थे, इस हिंसा में हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल की मौत हो गई. इसके बाद दंगाइयों ने सप्तऋषि नाम की इमारत में कब्ज़ा कर लिया और वहां से पथराव और फायरिंग करने लगे. इसी बीच एक दंगाई शाहिद की भी गोली लगने से मौत हो गई.
जांच में पता चला कि चक्का जाम और एंटी सीएए के नाम पर दंगों और हिंसा की काफी गहरी साजिश रची गई. 45 लोगों के एक ग्रुप ने हिंसा के पहले 22 फरवरी को एक बेसमेंट में मीटिंग कर साज़िश रची. साज़िश करने वालों में सलीम खान, सलीम मुन्ना, शादाब समेत 5 लोग मुख्य थे. बच्चों और बुजुर्गों से घर रहने के लिए कहा गया था. एक प्लानिंग के तहत, हिंसा के पहले ही आसपास के सीसीटीवी कैमरों को तोड़ दिया गया, लेकिन तकनीकी जांच ,वीडियो फुटेज के आधार पर एसआईटी ने रतनलाल की हत्या के मामले के पुलिस ने 17 आरोपियों को गिरफ्तार किया है.
दावा है कि आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत भी मिले हैं. वहीं शाहिद की हत्या के मामले में कुल 6 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश कर दी गई है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक इस मामले में कुछ महिलाएं भी आरोपी हैं.
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