School Transportation Charges : पेट्रोल-डीजल की महंगाई ने दिल्ली-एनसीआर में आम आदमी को एक और तगड़ा झटका दिया है. स्कूल खुलने के साथ फीस में बढ़ोतरी और महंगी कॉपी किताबों के बाद अब ट्रांसपोर्टेशन चार्ज में तगड़ी बढ़ोतरी की गई है. दिल्ली-एनसीआर के कई स्कूलों ने बच्चों की स्कूल बसों का ट्रांसपोर्टेशन चार्ज 30 फीसदी तक बढ़ा दिया है. अभिभावकों का आऱोप है कि स्कूल प्रबंधन कमाई के लिए नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं, वहीं स्कूल के प्रिंसिपल का कहना है कि डीजल के दामों में भारी बढ़ोतरी के बाद वो कुछ नहीं कर सकते.
दिल्ली पैरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजित गौतम ने कहा कि कई स्कूलों ने ट्रांसपोर्ट चार्ज की असली लागत से दोगुना से तीन गुना तक वसूल रहे हैं. वो इसे कमाई का अलग जरिया बना रहे हैं. ट्रांसपोर्ट चार्ज में भारी बढ़ोतरी को देखते हुए अभिभावक प्राइवेट कैब जैसे अन्य विकल्पों को आजमा रहे हैं, क्योंकि स्कूल फीस, कॉपी किताबों, दूध-सब्जी की महंगाई के बाद इस बढ़ोतरी से गहरी मार पड़ी है. कई पैरेंट्स ने कहा कि ऑनलाइन क्लास के दौरान स्कूल ट्रांसपोर्ट चार्ज के तौर पर एक भी रुपया नहीं ले रहे थे. लेकिन अब ऑफलाइन क्लासेज के बाद वो लॉकडाउन के वक्त के नुकसान की भरपाई में लगे हैं.
कई कामकाजी अभिभावकों का कहना है कि बढ़ा हुआ ट्रांसपोर्ट चार्ज (transportation cost) देना उनकी मजबूरी है, क्योंकि दोनों लोगों के नौकरी करने के कारण वो बच्चों को असुरक्षित प्राइवेट वाहनों में नहीं छोड़ सकते. गुरुग्राम के पैरेंट्स ऋषु ढींगरा ने कहा कि स्कूलों का कहना है कि उनका प्राइवेट ट्रांसपोर्टरों से कांट्रैक्ट है, लिहाजा वो उनके हिसाब से ट्रांसपोर्टेशन लागत बढ़ा रहे हैं. उनका ये तर्क भी है कि स्कूलों ने दो साल से ट्यूशन फीस भी नहीं बढ़ाई है और अब वो फीस में भी बढ़ोतरी की सोच रहे हैं. एक नामी स्कूल की प्रिंसिपल का कहना है कि ट्रांसपोर्टर पुरानी दरों पर गाड़ियां चलाने को कतई तैयार नहीं है. सीएनजी के दामों में भी भारी बढ़ोतरी के कारण भी सीएनजी बसों का ट्रांसपोर्ट चार्ज भी बढ़ा है.
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