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This Article is From Jul 10, 2020

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा-आश्रय गृहों में रह रहे मानसिक रुप से बीमार बेघरों की कोविड जांच के लिये आईडी प्रूफ की जरूरत क्यों?

दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को आईसीएमआर और आप सरकार से कहा कि कई मानसिक रुप से बीमार बेघर व्यक्ति आश्रय गृहों में हैं और उनका पता लगाया जा सकता है, ऐसे में कोविड-19 की जांच के लिए इस तरह के लोगों के पहचान पत्र या फोन नंबर की कोई जरूरत नहीं है.

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा-आश्रय गृहों में रह रहे मानसिक रुप से बीमार बेघरों की कोविड जांच के लिये आईडी प्रूफ की जरूरत क्यों?
दिल्ली हाईकोर्ट ने समाधान तलाशने के लिए आईसीएमआर को 24 जुलाई तक का दिया समय
नई दिल्ली:

दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को आईसीएमआर और आप सरकार से कहा कि कई मानसिक रुप से बीमार बेघर व्यक्ति आश्रय गृहों में हैं और उनका पता लगाया जा सकता है, ऐसे में कोविड-19 की जांच के लिए इस तरह के लोगों के पहचान पत्र या फोन नंबर की कोई जरूरत नहीं है. मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने कहा कि हमें ऐसे लोगों को छोड़ना नहीं चाहिए और सड़कों पर रहे रहे मानसिक रूप से बीमार बेघर लोगों का भी ध्यान रखना चाहिए.पीठ ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा से कहा कि वह अधिकारियों से सलाह-मशविरा करें कि इस पहलू को हल करने के लिए क्या किया जा सकता है.


पीठ ने कहा कि एक बार इसका निदान हो जाए तो यह सभी अस्पतालों को प्रेषित किया जाना चाहिए. अदालत ने इसका समाधान तलाशने के लिए आईसीएमआर को 24 जुलाई तक का वक्त दिया है और हलफनामे के जरिए अदालत को सूचित करने को कहा है. मानव व्यवहार और संबद्ध विज्ञान संस्थान (आईएचबीएस) ने वकील तुषार सन्नू के जरिए अदालत को सूचित किया था कि उसके यहां भर्ती मानसिक रूप से बीमार लोगों की कोरोना वायरस की जांच करने में दो बाधाएं हैं. इसके बाद अदालत का आदेश आया.


सन्नू ने कहा कि 19 जून के आईसीएमआर के परामर्श के अनुसार, जिस व्यक्ति की कोविड-19 की जांच होनी है, उसे सरकार द्वारा जारी पहचान प्रमाण देना होगा और उसके पास वैध फोन नंबर होना चाहिए ताकि उसका और उसके संपर्क में आए लोगों का पता लगाया जा सके. उन्होंने कहा कि अधिकतर मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति दोनों में से कोई भी शर्त पूरी नहीं करते हैं, लिहाजा उनकी कोरोना वायरस की जांच नहीं की जा सकती है. आईएचबीएएस ने सुझाव दिया कि आईसीएमआर के दिशा-निर्देशों में मानसिक रूप से बीमार बेघर लोगों की परेशानी के मद्देनजर उचित संशोधन किये जाएं.
उच्च न्यायालय, वकील गौरव कुमार बंसल की याचिका पर सुनवाई कर रहा था.

उन्होंने अपनी याचिका में राष्ट्रीय राजधानी में मानसिक रूप से बीमार बेघर लोगों की कोविड-19 जांच के लिए आईसीएमआर और दिल्ली सरकार को दिशा-निर्देश जारी करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया है. दिल्ली सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि वह आईसीएमआर के 19 जून के परामर्श का पालन कर रही है.

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