नई दिल्ली:
आप सरकार को राहत देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने आज दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) को आपराधिक मामलों में केंद्र के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई से रोकने वाली केंद्र की हालिया अधिसूचना को 'संदिग्ध' करार दिया और कहा कि उपराज्यपाल अपने विवेकाधिकार से काम नहीं कर सकते।
हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार के उपराज्यपाल दिल्ली के नागरिकों द्वारा सीधे तौर पर निर्वाचित मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करने के लिए बाध्य हैं और उनका पक्ष लेने वाला केंद्र का 'कार्यकारी आदेश' 'संदिग्ध' है।
अदालत ने कहा कि अगर कोई अन्य 'संवैधानिक या कानूनी टकराव' नहीं है तो उपराज्यपाल को जनादेश का सम्मान चाहिए।
यह टिप्पणियां एक फैसले का हिस्सा हैं जिसमें हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के पास पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार करने का क्षेत्राधिकार है।
दिल्ली की आप सरकार और उपराज्यपाल के बीच शक्तियों और निर्वाचित सरकार को लेकर टकराव की स्थिति बनी हुई है। केंद्र ने 21 मई को एक अधिसूचना जारी करके उपराज्यपाल का समर्थन किया था। उच्च न्यायालय ने एक हेड कॉन्स्टेबल की जमानत याचिका खारिज कर दी, जिसे भ्रष्टाचार के मामले में दिल्ली के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने गिरफ्तार किया था।
हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार के उपराज्यपाल दिल्ली के नागरिकों द्वारा सीधे तौर पर निर्वाचित मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करने के लिए बाध्य हैं और उनका पक्ष लेने वाला केंद्र का 'कार्यकारी आदेश' 'संदिग्ध' है।
अदालत ने कहा कि अगर कोई अन्य 'संवैधानिक या कानूनी टकराव' नहीं है तो उपराज्यपाल को जनादेश का सम्मान चाहिए।
यह टिप्पणियां एक फैसले का हिस्सा हैं जिसमें हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के पास पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार करने का क्षेत्राधिकार है।
दिल्ली की आप सरकार और उपराज्यपाल के बीच शक्तियों और निर्वाचित सरकार को लेकर टकराव की स्थिति बनी हुई है। केंद्र ने 21 मई को एक अधिसूचना जारी करके उपराज्यपाल का समर्थन किया था। उच्च न्यायालय ने एक हेड कॉन्स्टेबल की जमानत याचिका खारिज कर दी, जिसे भ्रष्टाचार के मामले में दिल्ली के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने गिरफ्तार किया था।
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