दिल्ली सरकार बनाम केंद्र मामला : सुप्रीम कोर्ट ने उठाए दिल्ली सरकार पर सवाल

दिल्ली सरकार बनाम केंद्र मामला : सुप्रीम कोर्ट ने उठाए दिल्ली सरकार पर सवाल

खास बातें

  • हाईकोर्ट ने मेरिट पर फैसला सुनाया है, उसके खिलाफ अर्जी दाखिल करें
  • अब धारा 131 के तहत सिविल सूट के तहत क्यों ना सुनवाई की जाए?
  • कोर्ट ने कहा, एक ही तरह के दो मामले एक साथ नहीं चल सकते
नई दिल्ली:

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के साथ अधिकारों को लेकर जारी दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार की लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुकी है. इस संबंध में दिल्ली सरकार की एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार पर सवाल उठाए हैं.

कोर्ट ने कहा, जब हाइकोर्ट ने मामले का मेरिट पर फैसला सुनाया है तो उसके खिलाफ अर्जी दाखिल कीजिए. कोर्ट ने पूछा, अब धारा 131 के तहत सिविल सूट के तहत क्यों ना सुनवाई की जाए? कोर्ट ने साफ कर दिया कि एक ही तरह के दो मामले एक साथ नहीं चल सकते. इस याचिका को वापस ले लेना चाहिए.

कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने कहा,  हाईकोर्ट के आदेश को दो तीन में चुनौती देंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि सूट वापस लेने के बारे में सरकार से सलाह लेंगे. इस मामले की अगली सुनवाई 2 सितंबर को होगी.

उल्लेखनी है कि सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार की उस याचिका यानी सूट पर सुनवाई हुई जिसमें दिल्ली सरकार ने मांग की है कि केंद्र और दिल्ली सरकार के अधिकारों की लड़ाई का निपटारा करें और दिल्ली को पूर्ण राज्य जैसे अधिकार मिलें। दरअसल, अप्रैल में ये याचिका दिल्ली सरकार ने दायर की थी।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के 131 के तहत सूट दाखिल करने पर सवाल उठाया था और कहा था कि आप खुद को कैसे राज्य कह सकते हैं तो केंद्र सरकार ने सूट का विरोध किया था कि दिल्ली राज्य नहीं है केंद्रशासित प्रदेश है. इधर, दिल्ली सरकार हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दे रही है और सूट भी दाखिल किया है. ये दोनों एक साथ नहीं चल सकते.

वहीं, दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को झटका देते हुए कहा था कि एलजी ही दिल्ली के प्रशासक है. दिल्ली सरकार की दलील है कि संविधान के आर्टिकल 131 के मुताबिक अगर भारत में दो या दो से अधिक राज्यों या केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच कोई विवाद होगा तो सिर्फ सुप्रीम कोर्ट को ही उसका निपटारा करने का अधिकार होगा. हाईकोर्ट ऐसे मामलों की सुनवाई नहीं कर सकता. दिल्ली इस मामले में राज्य है और केंद्र और दिल्ली के विवाद का निपटारा सुप्रीम कोर्ट को करना चाहिए.

संविधान के 239AA में केंद्र और दिल्ली सरकारों का अधिकारों का बंटवारा किया गया है और केंद्र दिल्ली सरकारों के अधिकार पर अतिक्रमण कर रहा है. केंद्र सरकार के पास भूमि, पुलिस और पब्लिक आर्डर है तो बाकी मामलों में फैसले लेने का अधिकार दिल्ली सरकार को है और इसके लिए LG की इजाजत लेना जरूरी नहीं है.


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