पुणे:
दिल्ली सामूहिक बलात्कार की 23-वर्षीय पीड़ित की मौत को लेकर संवेदना जाहिर करते हुए पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने कहा कि इस अपराध के गुनहगारों को जीने का कोई हक नहीं है।
पाटिल ने शनिवार शाम एक मराठी समाचार चैनल से कहा, यह मामला दुर्लभतम श्रेणी में आता है, इसलिए मुझे लगता है कि दोषियों को जीने का कोई हक नहीं है।
पाटिल ने कहा कि हालांकि मृत्युदंड पर संसद में और विधि विशेषज्ञों के बीच बहस की जरूरत है, लेकिन इसका क्रियान्वयन दुर्लभतम मामलों में किया जाना चाहिए। पूर्व राष्ट्रपति ने समाज की, विशेषकर पुरुषों की मानसिकता बदलने पर जोर दिया और युवाओं से मांग की कि वह इस तरह की बुराईयों का उन्मूलन कर बदलाव लाए।
पाटिल ने शनिवार शाम एक मराठी समाचार चैनल से कहा, यह मामला दुर्लभतम श्रेणी में आता है, इसलिए मुझे लगता है कि दोषियों को जीने का कोई हक नहीं है।
पाटिल ने कहा कि हालांकि मृत्युदंड पर संसद में और विधि विशेषज्ञों के बीच बहस की जरूरत है, लेकिन इसका क्रियान्वयन दुर्लभतम मामलों में किया जाना चाहिए। पूर्व राष्ट्रपति ने समाज की, विशेषकर पुरुषों की मानसिकता बदलने पर जोर दिया और युवाओं से मांग की कि वह इस तरह की बुराईयों का उन्मूलन कर बदलाव लाए।
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