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This Article is From Mar 22, 2016

कोर्ट ने महिला को कहा, अलग हो चुके पति पर बोझ नहीं बनें, नौकरी ढूंढ़ें

कोर्ट ने महिला को कहा, अलग हो चुके पति पर बोझ नहीं बनें, नौकरी ढूंढ़ें
प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने एक महिला को सलाह दी है कि वह नौकरी पाने के लिए ईमानदारी से कोशिश करे। कोर्ट ने कहा कि वह योग्यता रखती है और उसके अलग हो चुके पति पर वित्तीय बोझ डालने के लिए उसे घर में बेकार बैठे रहने की इजाजत नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि गुजारा भत्ता मांग रही महिला अपने पति से ज्यादा योग्यता रखती है और सक्षम है और उसके पास कमाने की क्षमता है।

जिला न्यायाधीश रेखा रानी ने गौर किया कि जिस व्यक्ति ने महिला को 12 हजार रुपये का गुजारा भत्ता दिए जाने के खिलाफ अपील दायर की है, वह अब उसकी नौकरी ढूंढ़ने में मदद करने को तैयार है और यह भी सहमति जताई है कि वह एक साल के लिए उसे 12 हजार रपये प्रतिमाह गुजारा भत्ते का भुगतान करेगा।

कोर्ट ने कहा, 'प्रतिवादी (महिला) ने माना कि वह अपीलकर्ता (व्यक्ति) से ज्यादा योग्यता धारण करती है। उसने माना कि वह सक्षम है और उसके पास कमाने की क्षमता है। इसलिए उसे घर पर बेकार बैठने और अपीलकर्ता पर वित्तीय बोझ डालने की जिम्मेदारी डालने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। उसे काम ढूंढ़ने में ईमानदार प्रयास करने दें।'

अदालत ने कहा, 'जैसा व्यक्ति ने पेशकश की है कि अगर महिला को नौकरी ढूंढ़ने में अपीलकर्ता की मदज की जरूरत है तो वह उसे मोबाइल पर एसएमएस या ई-मेल भेजकर बता सकता है।' उसने दोनों को आदेश सुनाए जाने से एक हफ्ते के अंदर निचली अदालत के सामने अपना मोबाइल नंबर और ई-मेल आदान-प्रदान करने का भी निर्देश दिया।

व्यक्ति ने निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें महिला को 12 हजार रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता दिए जाने का निर्देश दिया गया था। उसने निचली अदालत के आदेश को इस आधार पर चुनौती दी थी कि वह मौद्रिक राहत की हकदार नहीं है, क्योंकि वह उससे अधिक योग्यता रखती है और एमएससी में गोल्ड मेडलिस्ट है।

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)

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