नई दिल्ली:
दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को पांच साल की एक बच्ची के साथ दुष्कर्म के आरोपी दो युवकों के खिलाफ बलात्कार और अप्राकृतिक यौन संबंध के आरोप तय किए। अब इन आरोपियों के खिलाफ सुनवाई चलने का रास्ता साफ हो गया है।
अदालत ने दो आरोपियों के खिलाफ अपनी ओर से बलात्कार और अप्राकृतिक यौनाचार के आरोप तय किए, क्योंकि पुलिस ने अपने आरोप पत्र में इन दोनों आरोपों से संबंधित धाराएं नहीं लगाई थीं। उनके खिलाफ बाल संरक्षण कानून के प्रावधानों को भी लगाया गया है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजय गर्ग ने कहा कि आरोपियों मनोज शाह (22) और प्रदीप कुमार (20) के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत पहली नजर में नाबालिग से बलात्कार, अपहरण, अप्राकृतिक यौनसंबंध, हत्या का प्रयास, सबूत नष्ट करने और समान आशय के साथ गलत तरीके से बंधक बनाने के आरोप बनते हैं।
अदालत ने आरोपियों के खिलाफ हाल में लागू हुए बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम (पीओसीएसओ) के तहत बर्बर तरीके से यौन शोषण के आरोप तय किए, जिसमें अधिकतम सजा आजीवन कारावास है। मनोज और प्रदीप द्वारा गुनाह कबूल करने से इनकार करने के बाद उनके खिलाफ आरोप तय हुए। पीओसीएसओ कानून के तहत विशेष अदालत की अध्यक्षता कर रहे न्यायाधीश गर्ग ने नाबालिग बच्ची के माता-पिता सहित अभियोजन पक्ष के अन्य गवाहों के बयान दर्ज करने के लिए 24 जुलाई की तारीख तय की।
आरोपियों ने पूर्वी दिल्ली के गांधी नगर इलाके की एक इमारत में अप्रैल में पांच साल की बच्ची से कथित रूप से बर्बर तरीके से बलात्कार किया था। बच्ची को 40 घंटे बाद निकाला गया था और उसका फिलहाल एम्स में इलाज चल रहा है। अपराध करने के बाद फरार होने वाले मनोज और प्रदीप को बिहार से गिरफ्तार किया गया था।
अदालत ने दो आरोपियों के खिलाफ अपनी ओर से बलात्कार और अप्राकृतिक यौनाचार के आरोप तय किए, क्योंकि पुलिस ने अपने आरोप पत्र में इन दोनों आरोपों से संबंधित धाराएं नहीं लगाई थीं। उनके खिलाफ बाल संरक्षण कानून के प्रावधानों को भी लगाया गया है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजय गर्ग ने कहा कि आरोपियों मनोज शाह (22) और प्रदीप कुमार (20) के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत पहली नजर में नाबालिग से बलात्कार, अपहरण, अप्राकृतिक यौनसंबंध, हत्या का प्रयास, सबूत नष्ट करने और समान आशय के साथ गलत तरीके से बंधक बनाने के आरोप बनते हैं।
अदालत ने आरोपियों के खिलाफ हाल में लागू हुए बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम (पीओसीएसओ) के तहत बर्बर तरीके से यौन शोषण के आरोप तय किए, जिसमें अधिकतम सजा आजीवन कारावास है। मनोज और प्रदीप द्वारा गुनाह कबूल करने से इनकार करने के बाद उनके खिलाफ आरोप तय हुए। पीओसीएसओ कानून के तहत विशेष अदालत की अध्यक्षता कर रहे न्यायाधीश गर्ग ने नाबालिग बच्ची के माता-पिता सहित अभियोजन पक्ष के अन्य गवाहों के बयान दर्ज करने के लिए 24 जुलाई की तारीख तय की।
आरोपियों ने पूर्वी दिल्ली के गांधी नगर इलाके की एक इमारत में अप्रैल में पांच साल की बच्ची से कथित रूप से बर्बर तरीके से बलात्कार किया था। बच्ची को 40 घंटे बाद निकाला गया था और उसका फिलहाल एम्स में इलाज चल रहा है। अपराध करने के बाद फरार होने वाले मनोज और प्रदीप को बिहार से गिरफ्तार किया गया था।
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