दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा है कि मनीष सिसोदिया दिल्ली में हज हाउस की जगह यूनिवर्सिटी क्यों नहीं बनवाते?
नई दिल्ली:
दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने दिल्ली के उप मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया के उस बयान पर पलटवार किया है जिसमें कहा गया था कि अयोध्या में विवादित जगह पर मंदिर या मस्जिद के बजाय यूनिवर्सिटी बननी चाहिए.
एनडीटीवी इंडिया से मनोज तिवारी ने कहा कि 'मुझे बहुत आश्चर्य हो रहा है कि यह जो आम आदमी पार्टी के शीर्ष चार-पांच नेता हैं इन लोगों की बुद्धि कैसे भ्रष्ट हो गई है. उन्होंने 100 करोड़ रुपये हज हाउस बनाने के लिए देने की बात कही है. तो अगर तुम सच में यूनिवर्सिटी चाहते हो तो 100 करोड़ में तो दिल्ली में दो यूनिवर्सिटी बन जाएंगी. जमीन भी है आपके पास. 50-50 करोड़ दे दो.. लेकिन तुमको यूनिवर्सिटी नहीं बनानी है, तुमको हज हाउस बनाना है.'
रविवार को एनडीटीवी इंडिया के कार्यक्रम 'हम लोग' में जब मनीष सिसोदिया से अयोध्या पर उनका पक्ष पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि 'मेरा स्टैंड ये है कि राम मंदिर और मस्जिद दोनों पक्षों से पूछ लो और अगर दोनों की सहमति हो तो वहां एक अच्छी यूनिवर्सिटी बनवाओ. वहां हिंदुओं के बच्चे भी पढ़ें, मुसलमानों के भी पढ़ें, ईसाइयों के भी पढ़ें, भारतीयों के भी पढ़ें, विदेशियों के भी पढ़ें. वहीं से राम के सिद्धांतों को निकालो. राम मंदिर बनाने से राम राज्य नहीं आएगा, पढ़ाने से आएगा.'
यह भी पढ़ें : अयोध्या में क्यों न यूनिवर्सिटी बनाई जाए : राम मंदिर पर बहस के बीच मनीष सिसोदिया का बयान
मनोज तिवारी ने कहा 'इनको (मनीष सिसोदिया) पता नहीं राम मंदिर से ऐसी कौन सी परेशानी है कि हज हाउस बनाएंगे लेकिन राम मंदिर का विरोध करेंगे. मैं मनीष सिसोदिया जी को बताना चाहता हूं कि आपकी शिक्षा का यह असर है कि आप समझ नहीं सकते हो कि राम मंदिर अपने आप में कितनी बड़ी यूनिवर्सिटी है. ऐसा लग रहा है जन्मभूमि पर एक मंदिर बनना उनकी छाती में जैसे मूंग दल रहा हो.'
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आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता और पार्टी की पूर्वी दिल्ली लोकसभा प्रभारी आतिशी ने कहा 'अगर आप हमारी सरकार की प्राथमिकता देखेंगे तो पाएंगे कि दिल्ली सरकार हर साल 12 हज़ार करोड़ रुपये खर्च करती है. स्वास्थ्य पर 8 से 9 हजार करोड़ रुपये खर्च करती है लेकिन उसके बाद भी कई ऐसे खर्चे अलग-अलग धर्म विशेष के कार्यक्रमों के लिए होते हैं. जैसे दिल्ली सरकार भव्य स्तर पर कांवड़ शिविर का आयोजन करती है. छठ पूजा की व्यवस्था का आयोजन करती है. उत्तरायणी जो उत्तराखंड के लोगों का त्योहार है, तो उसी प्रकार से सरकार एक हज हाउस भी बना रही है. परंतु इन दोनों चीजों को जोड़कर देखने का कोई मतलब नहीं. भाजपा अपने गिरेबां में झांककर देखे. जिन-जिन राज्यों में उनकी सरकार है, वहां शिक्षा पर 5% भी बजट आवंटित नहीं होता.'
VIDEO : मंदिर से नहीं पढ़ाने से आएगा राम राज्य
क्या है हज हाउस मामला?
दिल्ली की केजरीवाल सरकार द्वारका के सेक्टर 22 में 93.47 करोड़ की लागत से दिल्ली का पहला हज हाउस बना रही है. इसका काम फिलहाल शुरू नहीं हुआ है. दिल्ली से हर साल 15 से 20 हज़ार हज यात्री अपनी यात्रा के दौरान गुजरते हैं. दिल्ली के अलावा उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ के हाज यात्री भी दिल्ली से अपनी यात्रा करते हैं.
एनडीटीवी इंडिया से मनोज तिवारी ने कहा कि 'मुझे बहुत आश्चर्य हो रहा है कि यह जो आम आदमी पार्टी के शीर्ष चार-पांच नेता हैं इन लोगों की बुद्धि कैसे भ्रष्ट हो गई है. उन्होंने 100 करोड़ रुपये हज हाउस बनाने के लिए देने की बात कही है. तो अगर तुम सच में यूनिवर्सिटी चाहते हो तो 100 करोड़ में तो दिल्ली में दो यूनिवर्सिटी बन जाएंगी. जमीन भी है आपके पास. 50-50 करोड़ दे दो.. लेकिन तुमको यूनिवर्सिटी नहीं बनानी है, तुमको हज हाउस बनाना है.'
रविवार को एनडीटीवी इंडिया के कार्यक्रम 'हम लोग' में जब मनीष सिसोदिया से अयोध्या पर उनका पक्ष पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि 'मेरा स्टैंड ये है कि राम मंदिर और मस्जिद दोनों पक्षों से पूछ लो और अगर दोनों की सहमति हो तो वहां एक अच्छी यूनिवर्सिटी बनवाओ. वहां हिंदुओं के बच्चे भी पढ़ें, मुसलमानों के भी पढ़ें, ईसाइयों के भी पढ़ें, भारतीयों के भी पढ़ें, विदेशियों के भी पढ़ें. वहीं से राम के सिद्धांतों को निकालो. राम मंदिर बनाने से राम राज्य नहीं आएगा, पढ़ाने से आएगा.'
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मनोज तिवारी ने कहा 'इनको (मनीष सिसोदिया) पता नहीं राम मंदिर से ऐसी कौन सी परेशानी है कि हज हाउस बनाएंगे लेकिन राम मंदिर का विरोध करेंगे. मैं मनीष सिसोदिया जी को बताना चाहता हूं कि आपकी शिक्षा का यह असर है कि आप समझ नहीं सकते हो कि राम मंदिर अपने आप में कितनी बड़ी यूनिवर्सिटी है. ऐसा लग रहा है जन्मभूमि पर एक मंदिर बनना उनकी छाती में जैसे मूंग दल रहा हो.'
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आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता और पार्टी की पूर्वी दिल्ली लोकसभा प्रभारी आतिशी ने कहा 'अगर आप हमारी सरकार की प्राथमिकता देखेंगे तो पाएंगे कि दिल्ली सरकार हर साल 12 हज़ार करोड़ रुपये खर्च करती है. स्वास्थ्य पर 8 से 9 हजार करोड़ रुपये खर्च करती है लेकिन उसके बाद भी कई ऐसे खर्चे अलग-अलग धर्म विशेष के कार्यक्रमों के लिए होते हैं. जैसे दिल्ली सरकार भव्य स्तर पर कांवड़ शिविर का आयोजन करती है. छठ पूजा की व्यवस्था का आयोजन करती है. उत्तरायणी जो उत्तराखंड के लोगों का त्योहार है, तो उसी प्रकार से सरकार एक हज हाउस भी बना रही है. परंतु इन दोनों चीजों को जोड़कर देखने का कोई मतलब नहीं. भाजपा अपने गिरेबां में झांककर देखे. जिन-जिन राज्यों में उनकी सरकार है, वहां शिक्षा पर 5% भी बजट आवंटित नहीं होता.'
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क्या है हज हाउस मामला?
दिल्ली की केजरीवाल सरकार द्वारका के सेक्टर 22 में 93.47 करोड़ की लागत से दिल्ली का पहला हज हाउस बना रही है. इसका काम फिलहाल शुरू नहीं हुआ है. दिल्ली से हर साल 15 से 20 हज़ार हज यात्री अपनी यात्रा के दौरान गुजरते हैं. दिल्ली के अलावा उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ के हाज यात्री भी दिल्ली से अपनी यात्रा करते हैं.
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