अबू बकर अल बगदादी का फाइल फोटो।
नई दिल्ली: खुद के खलीफ़ा इब्राहिम होने का एलान करने वाले आईसीस नेता अबू बकर अल बगदादी का असली और पूरा नाम है इब्राहिम अवाद इब्राहिम अली अल बदरी अल समराई। उसका जन्म इराक में समारा के एक सुन्नी अरब परिवार में 1971 में हुआ। यह परिवार खुद को पैगंबर का वारिस मानता रहा है। बगदादी के चाचा और भाई इस्लाम के शिक्षक और प्रचारक रहे हैं।
इस्लामिक कल्चर और शरीयत कानून में डॉक्ट्रेट
18 साल तक बगदादी समारा में रहा फिर बगदाद के करीब तोबची चला गया। उसने बगदाद की इस्लामिक यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करते हुए इस्लामिक कल्चर और शरीयत कानून में डॉक्ट्रेट किया। बगदादी को करीब से जानने वाले उसे शांत लेकिन इस्लाम का कट्टरता से पालन करने वाला बताते हैं। 2003 में जब अमेरिका ने इराक पर हमला किया तो बगदादी ने जिहाद की राह पकड़ ली। वह सुन्नी पीपुल्स ग्रुप के संस्थापकों में था और गुट के शरीयत कमेटी का मुखिया भी था।
जेल में बन गया क्रूर जेहादी
2004 में वह अमेरिकी सेना के हाथ लगा और उसे बगदाद के ही कैंप बुक्का में रखा गया। कहते हैं इस जेल ने ही बगदादी को दुनिया का सबसे क्रूर जेहादी बना दिया। उसने अपनी सज़ा का इस्तेमाल अमेरिका के खिलाफ नफरत और शरीयत को आगे बढ़ाने में किया। बगदादी ने जेल में ही अपने इस्लामिक स्टेट का पूरा खाका तैयार कर रखा था। आईसीस की संरचना पर नजर डालेंगे तो ऊपर के सारे पदाधिकारी मैनेजर की तरह हैं जिनमें से ज्यादातर सद्दाम हुसैन की बाथ पार्टी के अहम लोग हैं।
स्वयंभू खलीफा इब्राहिम बन बैठा
बगदादी ने अपनी जेलों की जिम्मेदारी उन्हें दी है जो उसके साथ जेल में थे। जेल में रहे उसके आठ सहयोगी बगदादी के ठीक बाद की हैसियत रखते हैं। शुरुआत में उसने अपनी पहचान छुपा कर रखी जिसकी वजह से लोग उसे न दिखने वाला शेख या भूत बुलाने लगे। उसने पहले सीरिया में रक्का पर कब्जा किया फिर इराक में मोसुल और उसके बाद सद्दाम के शहर टिकरित फतह किया। मजबूत पकड़ बनाने के बाद 2014 में बगदादी ने खुद को खलीफा इब्राहिम घोषित करते हुए कहा कि लोग उसके हुक्म को अल्लाह और मोहम्मद का पैगाम मानते हुए करें।