सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट जजों की नियुक्ति के लिए बनाए गए नेशनल ज्यूडिशियल अपाइंटमेंट कमीशन यानी एनजेएसी पर अपना फैसला शुक्रवार को सुनाएगा। पांच जजों की संविधान पीठ यह तय करेगी कि हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए एनडीए सरकार का बनाया गया कमीशन गैर संवैधानिक है या नहीं।
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नए कानून के मुताबिक कमीशन में 6 सदस्य होंगे जो देशभर के हाइकोर्ट के जजों और सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति करेंगे। चीफ जस्टिस आफ इंडिया कमीशन के मुखिया होंगे जबकि सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ जज, कानून मंत्री और दो हस्तियां इसके सदस्य होंगी।
सुप्रीम कोर्ट का कोलेजियम करता रहा है नियुक्तियां
इससे पहले 22 साल से सुप्रीम कोर्ट का कोलेजियम जजों की नियुक्तियां करता रहा है। सरकार के कमीशन लाने के बाद करीब 400 जजों की नियुक्तियां रुकी पड़ी हैं। एनएजेसी के बाद कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गईं और कहा गया कि यह सिस्टम न्याय पालिका की आजादी में दखल है और गैरसंवैधानिक है, इसलिए इसे रद्द किया जाना चाहिए।
केंद्र सरकार का कहना है कि यह सिस्टम कोलेजियम से कहीं ज्यादा पारदर्शी है और किसी भी सूरत में न्यायपालिका की आजादी में दखल नहीं है।
मामले की सुनवाई अप्रैल से लेकर अगस्त तक में कुल 32 दिन तक चली।
क्या हो सकता है फैसले में
1. सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार के एनएजेसी को सही ठहराते हुए इसे बरकरार रखने का फैसला सुना सकता है।
2. सुप्रीम कोर्ट इसे गैरकानूनी ठहराते हुए पुराने कोलेजिया सिस्टम को फिर से लागू कर सकता है।
3. केंद्र सरकार की दलील को मानते हुए मामले को 9 या 11 जजों की संविधान पीठ को भेज सकता है।
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नए कानून के मुताबिक कमीशन में 6 सदस्य होंगे जो देशभर के हाइकोर्ट के जजों और सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति करेंगे। चीफ जस्टिस आफ इंडिया कमीशन के मुखिया होंगे जबकि सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ जज, कानून मंत्री और दो हस्तियां इसके सदस्य होंगी।
सुप्रीम कोर्ट का कोलेजियम करता रहा है नियुक्तियां
इससे पहले 22 साल से सुप्रीम कोर्ट का कोलेजियम जजों की नियुक्तियां करता रहा है। सरकार के कमीशन लाने के बाद करीब 400 जजों की नियुक्तियां रुकी पड़ी हैं। एनएजेसी के बाद कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गईं और कहा गया कि यह सिस्टम न्याय पालिका की आजादी में दखल है और गैरसंवैधानिक है, इसलिए इसे रद्द किया जाना चाहिए।
केंद्र सरकार का कहना है कि यह सिस्टम कोलेजियम से कहीं ज्यादा पारदर्शी है और किसी भी सूरत में न्यायपालिका की आजादी में दखल नहीं है।
मामले की सुनवाई अप्रैल से लेकर अगस्त तक में कुल 32 दिन तक चली।
क्या हो सकता है फैसले में
1. सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार के एनएजेसी को सही ठहराते हुए इसे बरकरार रखने का फैसला सुना सकता है।
2. सुप्रीम कोर्ट इसे गैरकानूनी ठहराते हुए पुराने कोलेजिया सिस्टम को फिर से लागू कर सकता है।
3. केंद्र सरकार की दलील को मानते हुए मामले को 9 या 11 जजों की संविधान पीठ को भेज सकता है।
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