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This Article is From May 19, 2021

'23 फीट ऊंची लहरें और 1 Km दूर भी नहीं दिख रहा था'- साइक्लोन 'ताउते' के बीच ऐसा था नेवी का रेस्क्यू ऑपरेशन

Cyclone Tauktae Updates : साइक्लोन ताउते के चलते अरब सागर में बहुत से जहाज फंस गए थे, भारतीय नौसेना का ऑपरेशन अभी तक चल रहा है. नेवी के अधिकारी ने इस अभियान के दौरान की चुनौतियों के बारे में बताया.

'23 फीट ऊंची लहरें और 1 Km दूर भी नहीं दिख रहा था'- साइक्लोन 'ताउते' के बीच ऐसा था नेवी का रेस्क्यू ऑपरेशन
Cyclone Tauktae के चलते अरब सागर में कई जहाज फंस गए थे.
नई दिल्ली:

चक्रवाती तूफान ताउते (Cyclonic Storm Tauktae) ने पिछले कुछ दिनों में कई राज्यों में तबाही मचाई है. वहीं समंदर में भी इसका खौफ देखने को मिला है. ताउते के चलते सोमवार शाम से ही समंदर में कई बजरे और जहाज फंसे रह गए, इनमें से कइयों पर सवार लोगों को अबतक बचाया जा चुका है, लेकिन भारतीय नौसेना का ऑपरेशन अभी तक चल रहा है. नेवी के अधिकारी ने इस अभियान के दौरान की चुनौतियों के बारे में बताते हुए कहा कि 'हमें दूसरों की जान बचानी थी, लेकिन यह भी सुनिश्चित करना था कि हमारी जान भी बची रहे.'

ताउते के चलते एक बजरा P-305 डूब गया, वहीं दूसरा गॉल कन्सट्रक्टर भी तूफान में फंस गया. ये दोनों सोमवार की शाम को तूफानी हवाओं में किनारे से बह गए थे. जब नेवी को इसकी जानकारी लगी और हादसे की भयावहता का अंदाजा लगाया गया तो नेवी के युद्धपोत तुरंत बचाव अभियान के लिए निकल गए.

कमोडोर एमके झा ने NDTV को बताया कि 'तूफान की आंख मुंबई के ठीक पश्चिम में थी...हमने चिंता नहीं की और तुरंत हमारी शिप निकल गईं.' एमके झा नेवी के वेस्टर्न नवल कमांड के ऑपरेशन कमांडर हैं और वो नेवी, कोस्ट गार्ड, ओएनजीसी और दूसरे जहाजों की ओर से चलाए जा रहे जॉइंट रेस्क्यू ऑपेरशन को हेड कर रहे हैं.

उन्होंने बातचीत में बताया, 'जब हमारे पोत निकले तो लहरों की ऊंचाई 5 से मीटर थी. हवा 100-120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी. ऊपर से भारी बारिश हो रही थी. दृश्यता लगभग न के बराबर थी- ज्यादा से ज्यादा आधा किमी या बहुत हुआ तो एक किमी दूर तक ही दिख रहा था. ऐसी चुनौतीपूर्ण स्थितियां थीं.'

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कैसे बचाए गए लोग

बचाव में लगी टीमों ने इन बजरों की पहले की पोजीशन पता की और फिर कुछ वक्त तक मॉनिटर करते रहे. उन्होंने P-305 के डूबने की जगह भी पता कर ली. इसके बाद बजरे से लापता हो गए लोगों की मॉनिटरिंग की गई. कमोडोर झा ने बताया कि 'बजरा तूफान में 5-6 नॉट्स यानी की लगभग 10 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से मूव हुआ था. अब यह लगभग 5-6 किमी प्रति घंटे हो गया है.' उन्होंने बताया कि शिप से हेलिकॉप्टर ऑपरेशन नहीं हो पा रहे हैंं, इसलिए वो किनारे से ही काम कर रहे हैं.

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मंगलवार तक गॉल कन्स्ट्रक्टर के सभी 137 सवार बचा लिए गए थे, लेकिन P-305 पर 273 लोग सवार थे, जिनमें से 97 अभी भी लापता चल रहे हैं. कमोडोर झा ने कहा, 'हमारी बातचीत तक मिली जुली कोशिशों से अब तक 183 लो बचाए जा चुके हैं. इसके अलावा, एक अन्य जहाज से हमने 137 क्रू मेंबर्स को बचाया है.'

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तूफान से घंटों तक लड़ते रहे सर्वाइवर्स

उन्होंने बताया कि जितने भी सर्वाइवर्स थे, सबने लाइफ जैकेट पहना था. हालांकि एक को छोड़ किसी भी लाइफ राफ्ट में सर्वाइवर्स नहीं थे. कमोडोर ने कहा, 'इसका मतलब है कि हालात इतने खराब थे कि लोग लाइफ राफ्ट पर नहीं चढ़ पाए. उनकी आंखों में उम्मीदें हैं, लेकिन वो परेशान हैं. वो घंटों तक ऐसी समुद्री तूफान में झेलते रहे, सालों तक समंदर में काम करने की वजह से मैं उनका दर्द समझ सकता हूं.'

घटना से बचकर निकल आए एक सर्वाइवर सतीश नरवाद ने बताया कि उनके बजरे पर 250-300 लोग थे. 'बजरे के इंचार्ज ने सभी को लाइफ जैकेट पहनकर तैयार होने को बोला. हमने जैकेट पहनी और समुद्र में छलांग लगा दी.' लेकिन रात भर वो भयंकर तूफान से जूझते रहे, आखिर में मदद पहुंची. नेवी के लिए सबसे बड़ा चैलेंज इस बीच सभी स्टैंडर्ड ऑफ प्रोसीजर भी फॉलो करना था. कमोडोर झा ने कहा, 'हम जिंदा बचते तभी दूसरों को बचा सकते थे.'

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